Tuesday 14 April 2009

कैमरे भी मेरे साथ सौतेला व्‍यवहार करते हैं

आज चंद्रशेखर हाडा जी ने अपने ब्‍लागमें मेरी कैरीकेचर बनायी। अजय कु झा जी ने बिल्‍कुल सही कहा , उनकी तूलिका का जवाब नहीं , बहुत अच्‍छी फोटो उतार लेते हें वे। अन्‍य लोगों को भी यह अच्‍छी लगी , बहुत बहुत धन्‍यवाद उनका । पर घूमते घामते श्‍यामल सुमन जी भी वहां पहुंचे , कैरीकेचर तो उन्‍हे अच्‍छी लगी ,पर वे शायद चेहरे पर वो भाव ढूंढ रहे थे , जो रांची ब्‍लागर मीट में उन्‍होने मेरे चेहरे पर देखा था। इसलिए थोडी निराशा तो स्‍वाभाविक ही थी। पर हाडा जी की क्‍या गलती ? उन्‍हें मेरे प्रोफाइल में जो फोटो मिली , उसी के भाव को तो वे उतार सकेंगे। अपने प्रोफाइल में ऐसी फोटो लगाने का इल्‍जाम आप मुझपर भी न लगाए तो अच्‍छा रहेगा , क्‍योंकि मैं तो हमेशा से परेशान हूं , कैमरे के इस सौतेले व्‍यवहार से।


जब मैट्रिक या इंटर के फार्म भरने के लिए पहली बार पासपोर्ट साइज का फोटो लेकर घर लौटी तो भाई ने उसे देखते ही मेरा मजाक बना दिया ‘ये तुम्‍हारी फोटो है या स्‍नेहलता दीदी की’ स्‍नेहलता दीदी हमारी टीचर थी , जिनका चेहरा काफी चौडा और भारी था। मेरा स्‍नेहलता दीदी जैसा फोटो निकालने का सारा इल्‍जाम गांव के स्‍टूडियो , उसके कैमरे और फोटोग्राफर पर ही लगा , मैं तो बच गयी। लेकिन बीए और एमए के समय शहर के स्‍टूडियो के द्वारा भी मेरा फोटो अच्‍छा नहीं आ सका तो इल्‍जाम मेरे खुद के चेहरे पर लगना ही था, यह बिल्‍कुल भी फोटोजनिक नहीं। जब रिश्‍ते के लिए फोटो भेजने की बारी आयी तो घरवाले परेशान, एक तो बेटी खूबसूरत नहीं , उपर से जितनी हो , उतना भी फोटो मे दिखाई न पडे , उनका परेशान होना स्‍वाभाविक था। रामगढ , रांची , हजारीबाग और धनबाद हर जगह के स्‍टूडियो में फोटो खिंचवायी गयी , पर कोई फायदा नहीं , कोई भी फोटो रिश्‍ते के लिए भेजने लायक नहीं था। तब घरवाले बिना फोटो के ही रिश्‍ते के लिए गए और सीधा मुझे देख लेने का ही निमंत्रण दे डाला। खैर, बिना फोटो के ही किसी तरह शादी हो गयी। इसलिए मेरे यहां कभी आए तो शादी का एलबम दिखाने की जिद न करें तो अच्‍छा रहेगा। वैसे फोटो अच्‍छी न आने का एक फायदा यह है कि बाजार में कितने भी अच्‍छे कैमरे क्‍यों न मिल रहे हों , लेने को जी नहीं ललचता और पैसे बच जाते हैं।


इसलिए अपने ब्‍लागर प्रोफाइल में फोटो डालने में भी मैं डेढ वर्षों से आनाकानी ही कर रही थी , पर बच्‍चों के जिद पर मैने डाल दिया। पर शायद मेरी फोटो मुझसे काफी अलग थी , तभी तो रांची ब्‍लाग मीट में मुझे देखकर सब चौंके । और किसी ने तो पहले कुछ नहीं कहा , पर शैलेश भारतवासी जी अपने को बिल्‍कुल नहीं रोक पाए। उन्‍होने तुरंत सवाल दाग ही दिया ‘आपने अपनी प्रोफाइल में वैसी फोटो क्‍यों लगा रखी है’ , अब मैं उन्‍हें क्‍या समझाती कि अभी तक के सारे कैमरे मेरे साथ सौतेला व्‍यवहार ही कर रहे हैं , मेरी चुप्‍पी पर उन्‍होने तो यही समझा होगा कि जानबूझकर लोगों द्वारा परेशान न किए जाने के भय से इन्‍होने अपनी उम्र से बडी लगनेवाली फोटो लगा रखी है। बाद में धीरे धीरे पारूल जी या अन्‍य लोगों ने भी बताया कि मेरी फोटो मुझसे बिल्‍कुल अलग है। फिर मेरी एक मित्र ने प्रोफाइल से मेरी फोटो हटवा ही दी थी , पर उस दिन रचना जी के कहने पर मैने पुन: उसे डाल दिया। एक मित्र का कहना है कि मैं जब तक ब्‍लागवाणी से अपनी फोटो न हटा लूं , वह मेरा ब्‍लाग नहीं पढेगी। पर मैने न तो ब्‍लागवाणी में अपनी फोटो डाली है और न हटाने के बारे में जानकारी है । अब वह मेरी पोस्‍ट न भी पढे तो मैं क्‍या कर सकती हूं। मुझे तो अभी भी सिर्फ इंतजार है , शायद भविष्‍य में कोई कैमरा आए , जो मेरे चेहरे की चमक और आत्‍मविश्‍वास को दिखाते हुए मेरी फोटो ले सके ।