Thursday 31 December 2009

2010 ही क्‍या .. उसके बाद भी आनेवाला हर वर्ष आपके लिए मंगलमय हो !!

इस दुनिया में आने के बाद हमारी इच्‍छा हो या न हो , हम अपने काल , स्‍थान और परिस्थिति के अनुसार स्‍वयमेव काम करने को बाध्‍य होते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं , अपने काल , स्‍थान और परिस्थिति  के अनुरूप ही हमें फल प्राप्‍त करने की लालसा भी होती है। पर हमेशा अपने मन के अनुरूप ही प्राप्ति नहीं हो पाती , जीवन का कोई पक्ष बहुत मनोनुकूल होता है , तो कोई पक्ष हमें समझौता करने को मजबूर भी करता र‍हता है। पर यही जीवन है , इसे मानते हुए , जीवन के लंबे अंतराल में कभी थोडा अधिक , तो कभी थोडा कम पाकर भी हम अपने जीवन से लगभग संतुष्‍ट ही रहते हैं। यदि संतुष्‍ट न भी हों , तो आवश्‍यकताओं की पूर्ति हेतु इतनी भागदौड करनी पडती है और हमारे पास समय की इतनी कमी होती है कि तनाव झेलने का प्रश्‍न ही नहीं उपस्थि‍त होता।

पर समय समय पर छोटी बडी अच्‍छी या बुरी घटनाएं आ आकर कभी हमारा उत्‍साह बढाती है , तो कभी हमें अपने कर्तब्‍यों के प्रति सचेत भी करती है। यदि हमें सर्दी जुकाम हो , तो इसका अर्थ यह है कि प्रकृति के द्वारा अगली बार ठंड से बचने के लिए हमें आगाह किया जाता है। इसी प्रकार पेट की गडबडी हो तो हम संयम से खाने पीने की सीख लेते हैं। ऐसी घटनाओं में कभी भी अनर्थ नहीं हुआ करता। पर इस दुनिया के लाखों लोगों में से कभी कभी किसी एक के साथ कोई बडी सुख भरी या कोई दुखभरी घटना घट जाया करती है , जो सिर्फ उसके लिए ही नहीं , पूरे समाज और देश तक के लिए आनंददायक या कष्‍टकर हो जाती है। प्रकृति में ये घटनाएं सामूहिक रूप से हमारा उत्‍साह बढाने या हमें सावधान करने के लिए होती रहती है। कहीं ठीक से पालन पोषण होने से किसी का बच्‍चा 'बडा आदमी' बन जाता है तो कहीं ठीक से न होने से किसी का बच्‍चा 'चोर डाकू' भी बन जाता है। कहीं पर रिश्‍तो की मजबूती हमारे जीवन को स्‍वर्ग बनाने में सक्षम है तो कहीं ढंग से रिश्‍तो को नहीं निभाए जाने से पति पत्‍नी के मध्‍य तलाक तक की नौबत आती है। कहीं ढंग से काम न करने से किसी प्रकार की दुर्घटना होती है , तो कहीं सही देखभाल न होने से किसी की मौत। यदि सामूहिक तौर पर देखा जाए एक लाख से भी अधिक लोगों में से  किसी एक व्‍यक्ति के साथ हुई इस प्रकार की घटना से बाकी 99,999 से भी अधिक लोग सावधानी से जीना सीख जाते हैं।

पर सावधान बने रहने की इस सीख को भयावह रूप में देखकर हम अक्‍सर अपने तनाव को बढा लेते हैं। प्रकृति में अति दुखद घटनाओं की संख्‍या बहुत ही विरल होती है। ऐसी समस्‍याएं अक्‍सर नहीं आती, कभी कभार ही लोगों को इस प्रकार की समस्‍या में जीना पडता है। पर प्रकृति के इस नियम को हम बिल्‍कुल नहीं समझ पाते। सबसे पहले तो अपने धन , पद और आत्‍मविश्‍वास में हम किसी प्रकार की अनहोनी की संभावना को ही नकार देते हैं। प्रकृति के महत्‍व को ही स्‍वीकार नहीं करते और जब कोई छोटी समस्‍या भी आए तो उसे छोटे रूप में स्‍वीकार ही नहीं कर पाते। मामूली बातों को भी वे भयावह रूप में देखने लगते हैं।  जैसे किसी अच्‍छे स्‍कूल या कॉलेज में बच्‍चे का दाखिला न हो सका , तो हमें बच्‍चे का पूरा जीवन व्‍यर्थ नजर आने लगता है। बच्‍चे को कहीं थोडी सी चोट लग गयी हो तो भयावह कल्‍पना करते हुए हमारा मन घबराने लगता है , बेटे का पढाई में मन नहीं लग रहा तो भविष्‍य में उसके रोजी रोटी की समस्‍या दिखने लगती है। बच्‍ची का विवाह नहीं हो रहा हो , तो उसके जीवनभर अविवाहित बने रहने की चिंता सताने लगती है। लेकिन ऐसा नहीं होता , देश , काल और परिस्थिति के अनुसार सभी के काम होने ही हैं , इसलिए अपने परिवार के कर्तब्‍यों का पालन करते हुए इसकी छोटी छोटी चिंता को छोड हमें अपने कर्तब्‍यों के द्वारा देश और समाज को मजबूत बनाने के प्रयास करने चाहिए।

अपने अनुभव में मैंने पाया है कि चिंता में घिरे अधिकांश लोग सिर्फ शक या संदेह में अपना समय बर्वाद करते हैं। इस दुनिया में सारे लोगों का काम एक साथ होना संभव नहीं , यह जानते हुए भी लोग बेवजह चिंता करते हैं। हमारे धर्मग्रंथ 'गीता' का सार यही है कि हमारा सिर्फ कर्म पर अधिकार है , फल पर नहीं। इसका अर्थ यही है कि फल की प्राप्ति में देर सवेर संभव है।  इस बात को समझते हुए हम कर्तब्‍य के पथ पर अविराम यात्रा करते रहें , तो 2010 ही क्‍या , उसके बाद भी आनेवाला हर वर्ष हमारे लिए मंगलमय होगा। मैं कामना करती हूं कि आनेवाले वर्ष आपके लिए हर प्रकार की सुख और सफलता लेकर आए !!




20 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

आने वाला समय आप के लिए मंगलमय हो!

Alpana Verma said...

बहुत ही सही बात लिखी है--चिंता करने में ही अधिक समय बिता देते हैं अधिकतर लोग.
वजहें भी आप ने खूब गिनाई हैं..
-सार यही है की कर्म करने से ही फल मिलता है.
बहुत अच्छा चिंतन,
मैं भी यही कामना करती हूं कि आनेवाले समय
आपके लिए हर प्रकार का सुख और सफलता ले कर आए.

रंजू भाटिया said...

बहुत सही लिखा है आपने ...
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ

Kusum Thakur said...

नव वर्ष की अनेकों सुभकामनाएँ !!

Kusum Thakur said...

नव वर्ष आपके और आपके परिवार के लिए मंगलमय हो !!

अजय कुमार said...

नव वर्ष मंगलमय हो

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सभी के लिए मंगलमय हो।
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पुरूषों के श्रेष्ठता के जींस-शंकाएं और जवाब।
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्‍कार घोषित।

सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) said...

बहुत सही ! आपको आने वाले अनेक नव वर्षों की अग्रिम शुभ कामनाएं !

समयचक्र said...

आपको और आपके परिजनों मित्रो को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये...

मनोज कुमार said...

2010 ही क्‍या .. उसके बाद भी आनेवाला हर वर्ष आपके लिए मंगलमय हो !!

बहुत-बहुत धन्यवाद
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

प्रवीण said...

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आदरणीय संगीता जी,
बहुत ही सार्थक चिंतन के लिये आभार।
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

Vinashaay sharma said...

बहुत अच्छा लिखा,आपके लिये और आपके परिवार के लिये हर वर्ष के लिये शुभकामनायें

परमजीत सिहँ बाली said...

आपको तथा आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

विनोद कुमार पांडेय said...

आपको, आपके मित्रगणो, और आपके परिवार के सभी सदस्यों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ..

हास्यफुहार said...

नया साल मंगलमय हो ... 2010 हंसी और हंसी-ख़ुशी से भरा रहे !!!!

राजकुमार ग्वालानी said...

आप और आपके परिवार को नववर्ष की सादर बधाई
नव वर्ष की नई सुबह

Randhir Singh Suman said...

आप सब को सपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!

girish pankaj said...

aapke sakaratmak vichar parhe, achchha laga. aap isee tarah bhavanaon ka ''sangeet'' 'poori' diniya me failatee rahe, inhi shubhkamanaon ke saath......

स्पाईसीकार्टून said...

नव वर्ष की हार्दिक सुभकामनाएँ आपको और आपके समस्त परिवार को

प्रवीण त्रिवेदी said...

हैप्पी न्यू इयर -२०१०

नये साल में रामजी, इतनी-सी फरियाद,
बना रहे ये आदमी, बना रहे संवाद।
नये साल में रामजी, बना रहे ये भाव,
डूबे ना हरदम, रहे पानी ऊपर नाव ।
नये साल में रामजी, इतना रखना ख्याल,
पांव ना काटे रास्ता, गिरे न सिर पर डाल।
नये साल में रामजी, करना बेड़ा पार,


क्या-क्या चाहते हैं, क्या-क्या सोचते हैं, क्या फरियाद है हमारी हमारे राम से - कवि ’कैलाश गौतम’ की रचना http://ramyantar.blogspot.com/2010/01/blog-post.html