Saturday 6 February 2010

घुंघराले बालों वाली गोरी खूबसूरत कन्‍या बारंबार मेरी अंतरात्‍मा को झकझोर रही है !!

अपने लक्ष्‍य के प्रति मैं जितनी ही गंभीर रहती हूं और सफलता के लिए जितना ही प्रयत्‍न करती हूं , अपने सुख की चिंता उतनी ही कम रहती है। मुझे न तो ईश्‍वर से , न अपने परिवार से और न ही जान या पहचानवालों से कोई शिकायत रहती है। मुझपर बडा से बडा कष्‍ट भी आ जाए , तो मैं उन दीन दुखियों के बारे में सोंचती हूं , जिनके हिस्‍से कष्‍ट ही कष्‍ट आया। ऐसे बहुत सारे लोग हैं , जिनके कष्‍ट को देखने के बाद अपने कष्‍ट बहुत छोटे लगते हैं। जिनके जीवन को मैने काफी नजदीक से देखा है , उसमें सबसे अधिक कष्‍ट पाने वाले दो परिवार की कहानी मैने इस और इस आलेख में प्रेषित की है। इनकी चर्चा करने के बाद 19 वर्ष की एक घुंघराले बालों वाली गोरी खूबसूरत कन्‍या निरीह भाव से बारंबार मेरी अंतरात्‍मा को झकझोर रही है कि क्‍या उससे दुखी भी इस दुनिया में कोई हो सकता है, जो मैने उसे इन दोनो के स्‍थान पर नहीं रखा ??

हालांकि अब उसकी उम्र 42 वर्ष की हो चुकी है , उसके जीवन का बहुत हिस्‍सा अभी बाकी है , शायद कोई सुखात्‍मक मोड आए , यही सोंचकर मैने इसे तीसरे स्‍थान में रखा है , पर कहीं से कोई भी सकारात्‍मक उम्‍मीद नहीं दिखती है। मेरे चेहरे के सामने उसका वही रूप आ रहा है , जिसे मैने उसके विवाह के पूर्व ही देखा था । बचपन से ही उसके प्‍यारे रूप को देखती आ रही थी, उसके लंबे चौडे परिवार में पांच बुआ थी , जिसमें से दो विवाह के बाद भी अपने बच्‍चों को लेकर पिता के घर में ही रहा करती थी। उसमें से एक परित्‍यक्‍ता और दूसरी विधवा थी , बाकी तीन बुआ की शादी भी नहीं हुई थी, उसी में से एक मेरी दोस्‍त थी। उसके पिताजी का नहाते वक्‍त डैम में डूबकर प्राणांत हो चुका था और वह अपनी विधवा मां के साथ अपने दादाजी के घर में रहा करती थी। दिनभर इतने बडे परिवार की सेवा टहल में व्‍यस्‍त मां से वह कितने प्‍यार की उम्‍मीद रख सकती थी ? पर लाचारों के दिन भी तो कट ही जाते हैं । धीरे धीरे तीनों बुआ का विवाह भी हो गया और वह घर में इकलौती रह गयी। बडे होने के बाद अपनी दोस्‍त यानि मेरी छोटी बहन के साथ मैने उसे देखा तो देखती ही रह गयी थी। अपनी मां की प्रतिमूर्ति उसकी सुंदरता की प्रशंसा भी कैसे करूं ?

फिर कुछ ही दिनों में मालूम हुआ कि घर के सारे लोग मिलकर उसके विवाह की तैयारी कर रहे थे। जानकर बहुत खुशी हुई , सुदर और स्‍मार्ट तो थी ही , एक सरकारी स्‍कूल के बहुत सुंदर और स्‍मार्ट शिक्षक से उसका विवाह तय हो गया। दादाजी और मामाजी , फूफाजी और अन्‍य सभी रिश्‍तेदार उसके विवाह में कुछ न कुछ मदद करने को तैयार थे। बहुत धूमधाम से उसका विवाह हुआ था , यहां तक कि गांव में पहली बार उसके विवाह में ही शादी की वीडियो रिकार्डिंग हुई थी , उनकी जोडी को देखकर गांववालों की खुशी का ठिकाना न था। खुशी खुशी वह ससुराल में रहने लगी और गुडिया जैसी एक कन्‍या को जन्‍म दिया। पर उस परिवार की खुशी को भी ग्रहण लग गया, उसके पति ने तबियत खराब होने पर अस्‍पताल की शरण ली तो डॉक्‍टरों ने उसे किसी गंभीर बीमारी से पीडित पाया । इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गयी और मात्र 22 वर्ष की उम्र में अपनी मां के समान ही एक बेटी को लेकर वह पूरी जिंदगी काटने को लाचार हुई। उसकी मां के लिए तो यह बहुत अच्‍छा हुआ कि ये सब देखने के पहले ही स्‍वर्ग सिधार गयी थी , पर बेटी के लिए यह और बुरा हुआ , जीवन भर बुरी से बुरी परिस्थिति में रोने के लिए उसे मां की गोद भी नसीब नहीं हो सकी। यहां भी पति की नौकरी पर उसके भाई ने ही अधिकार जमाया।

वो अकेली ससुरालवालों के साथ समायोजन कर किसी तरह जीवन की गाडी खींचती चली गयी। जिसका पति साथ न हो , उस भारतीय स्‍त्री की मुसीबत का अंदाजा कोई भी लगा सकता है। जीवनभर जो कहानी उसकी मां के साथ हुई थी , वही इसे भी झेलने को मजबूर होना पडा। मां को तो कभी कभार मन बहलाने को एक मायका भी था , पर बेटी के हिस्‍से से तो वह सुख भी प्रकृति ने छीन लिया था। आज अपनी मां और नानी से भी सुंदर उसकी बेटी बिल्‍कुल सयानी हो चुकी है , इंटर में पढ रही है। उसे बेटी के विवाह की चिंता है , मेरी बहन यानि अपनी सहेली से एक अच्‍छा सा लडका ढूंढने को कह रही है। ईश्‍वर से मेरी प्रार्थना है , उसका कष्‍ट यहीं से दूर करे , उसे बेटे समान एक दामाद दे दे , उसे ढेर सारी खुशियां दे , ताकि मेरे द्वारा बनायी गयी लिस्‍ट से वे दोनो बाहर हो जाएं । आशा है , आप सब भी उनके लिए प्रार्थना करेंगे। 

हमारी प्रार्थना रंग ले आयी , बिटिया की शादी बहुत अच्छे घराने में अच्छे लड़के से हुई और वह सुखी दांपत्य जीवन बीता रही है। 

7 comments:

Udan Tashtari said...

हम भी प्रार्थना करते है कि उसके कष्ट दूर होंगे.

Anonymous said...

हम भी आपकी भावनाओं से सहमत होते हुए कामना करते हैं उनके कष्ट दूर होने की

बी एस पाबला

वाणी गीत said...

औरों का ग़म देखा तो अपना ग़म भूल गया ...होता है बहुधा ऐसा भी ...
उस बच्ची के लिए जरुर दुआ करूंगी ...आपकी संवेदनशीलता को नमन ...!!

श्यामल सुमन said...

आपकी सम्वेदना स्पष्ट दिख रही है पोस्ट में।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

दीपक 'मशाल' said...

संगीता मैम... आपने बड़े पुण्य का कार्य किया इस पोस्ट को बनाकर.. हम लोगों को उनके दरद के बारे में बताकर.. हम सच्चे दिल से ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उस परिवार की तकलीफें ख़त्म नहीं तो कम अवश्य करें..
जय हिंद... जय बुंदेलखंड...

मनोज कुमार said...

आपसे सहमत हूँ। ईश्वर से प्रर्थना है उसके कष्ट दूर हों।

निर्मला कपिला said...

आपकी संवेदनाओं मे हम भी सहभागी हैं।ईश्वर से प्रर्थना है उसके कष्ट दूर हों। धन्यवाद्