Monday 7 June 2010

विरोधी समूह के द्वारा प्रशंसा और सम्‍मान .. इससे बडा सुख क्‍या हो सकता है ??

अपने तो हमेशा प्रशंसक होते हैं , इसलिए उसकी प्रशंसा आपको उतना सुख नहीं दे सकती , जितना एक विरोधी के द्वारा आपकी प्रशंसा किए जाने पर होता है। एक विरोधी के द्वारा प्रशंसा किए जाने का अर्थ है कि आप सही राह चल रहे हैं , जो आपका आत्‍मविश्‍वास बढाने में कामयाब होती है।  यूं तो विभिन्‍न श्रेणियों के अंतर्गत 'संवाद सम्‍मान' काफी दिन पहले से ही घोषित किया जा रहा है , पर जब संवाद समूह ने मुझे 'लोकप्रिय ब्लॉगर-नामित' श्रेणी के अन्तर्गत सम्मानित किया तो मैं दिल्‍ली में थी , इंटरनेट से दूर रहने के कारण मैं इसका शुक्रिया भी न अदा कर सकी।


'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' मेरा मुख्‍य ब्‍लॉग है और मैं अधिकांशत: ज्‍योतिष विषय पर ही लिखा करती हूं , इस कारण संवाद समूह से मेरा खासा वैचारिक विरोध बना होता है , पर तीन वर्ष के ब्‍लॉगिंग के जीवन में इस विरोध ने कभी भी मर्यादा का उल्‍लंघन नहीं किया। वो तर्क से ज्‍योतिष की खामियों की चर्चा किया करते हैं और मैं तर्क से उन खामियों के ज्‍योतिष में बने रहने के कारण का उल्‍लेख करती हूं। 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' खुद ही ज्‍योतिष में व्‍याप्‍त खामियों को दूर करने के लिए प्रयत्‍नशील है , इसलिए उसकी सहायता से मैं खुद उन खामियों की तह में जाती हूं , ताकि ज्‍योतिष को प्रामाणिक शास्‍त्र बनाया जा सके। पर मैं यह भी मानती हूं कि जबतक ज्‍योतिष की वैज्ञानिकता को साबित न कर दूं , तबतक बुद्धिजीवी वर्ग को इसे मानने को मजबूर नहीं कर सकती। संवाद समूह ने मेरी मानसिकता को समझते हुए बिल्‍कुल सही वक्‍तब्‍य दिया है .......


एक हिसाब से देखा जाए, तो सकारात्मक लेखन के नजरिये से संगीता पुरी जी सर्वाधिक चर्चित महिला ब्लॉगर हैं। वे हालांकि मुख्य रूप से अपने ज्योतिष सम्बंधी ब्लॉग 'गत्यात्मक ज्योतिष' के लिए जानी जाती हैं। देखने में यह एक विरोधाभास के समान है कि संवाद समूह जोकि अंधविश्वास का प्रबल विरोध है, उसके द्वारा गत्यात्मक ज्योतिष की प्रवक्ता का सम्मान किया जा रहा है। पर अगर गहराई से देखें, तो संगीता जी ने ज्योतिष में प्रचलित अनेकअंधविश्वासों को तोड़ने का काम भी किया है। साथ ही संगीता जी ज्योतिष को तर्कपूर्ण बनाने और उसे वैज्ञानिक स्वरूप देने के लिए भी लगातार प्रयत्नशीन रहती हैं। वैसे संगीता जी का हमारा खत्री समाजब्लॉग भी काफी चर्चा में रहा है और 'हिन्दी शब्दकोश' सम्बंधी कार्य भी उन्होंने काफी मेहनत से सम्पन्न किया है। संगीता जी की इन तमाम योग्यताओं  को दृष्टिगत रखते हुए संवाद समूह ने उन्हें 'लोकप्रिय ब्लॉगर-नामित' श्रेणी के अन्तर्गत सम्मानित करने का निर्णय लिया है। 



मैं संवाद समूह का शुक्रिया अदा करती हूं कि उसने मुझे इस काबिल समझा , उम्‍मीद रखती हूं कि यह आनेवाले दिनों में भी मुझपर भरोसा करेगा । इसके अलावे सभी टिप्‍पणीकर्ताओं का भी आभार !!

24 comments:

L.Goswami said...

विरोध और साथ न होने में फर्क होता है संगीता जी. मान भी लिया जाए की मेरा (विज्ञान की अध्येता का)आपके विषय (ज्योतिष )से विरोध है पर इस कारण आपके द्वारा किया जा रहा कोई अन्य सकारात्मक कार्य सराहा न जाए यह कहीं से सही नही होगा .. ...मेरी ओर से भी बहुत बधाई ..

सुनील दत्त said...

साकारत्मक सोच रखने वाल विरोधी अपना भ्रम दूर होने पर जरूर सही बात की सत्यता स्वीकार करता है।

Smart Indian - स्मार्ट इंडियन said...

इस सम्मान के लिए हार्दिक बधाई!

DHARMENDRA LAKHWANI said...

सही कहा आपने.
हमारी शुभकामनाएं स्वीकारें.

बगावत सिंह said...

बिटिया तुम तो अपना काम किए जाओ बस , एक दिन आएगा जब दुनिया तुम्हारे काम को ही सलाम करेगी । मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है

Arvind Mishra said...

आप निश्चित ही सम्मान और बधाई की पात्र रही हैं
आप जीवट की हैं, सहिष्णु हैं और विरोधों का लोकतांत्रिक तरीके से पुरजोर जवाब देती हैं
आखिर इस जिजीविषा को कौन सलाम नहीं करेगा!

डॉ टी एस दराल said...

दो लोगों के विचारों , मान्यताओं और विश्वासों में मतभेद हो सकता है । लेकिन इससे सम्मान में कहीं रूकावट नहीं आती । आपका ब्लॉग लोकप्रिय है और रहेगा । बधाई स्वीकारें ।

उन्मुक्त said...

आप लोगों के चिट्ठियों पर टिप्पणी कर उन्हें उत्साहित करती हैं। आप निश्चित ही बधाई की पात्र हैं।

Udan Tashtari said...

मत भेद तो हमेशा हो ही सकता है, मन भेद नहीं होना चाहिये.

बहुत बधाई!!

honesty project democracy said...

बिलकुल सही बात विरोध और विरोध का जवाब भी सिर्फ तार्किक ही होना चाहिए तब जाकर कोई सार्थक परिणाम निकलता है ,अच्छी प्रस्तुती |

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत बहुत बधाई आपको...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...

समीर लाल जी ने ठीक ही कहा है!
आपको बहुत-बहुत बधाई!

Neeraj Rohilla said...

संगीताजी,
आपको बहुत बधाई,

विचारों का टकराव बहुत जरूरी है लेकिन सभ्य भाषा और मर्यादित आचरण के दायरे में रहकर, किसी भी चर्चा में ये मेरी पहली शर्त रहती है। और आपके ब्लाग पर तो आपसे ज्योतिष के सन्दर्भ में मेरी बाते होती रही हैं और आपके सतत प्रयासों और निरन्तर लेखन के हम भी मुरीद हैं।

आभार,
नीरज

राज भाटिय़ा said...

विरोध होता है तभी लेखन मै भी निखार आता है, आप लिखे जी ओर आप को बहुत बधाई

मनोज कुमार said...

हार्दिक बधाई।

सतीश सक्सेना said...

अरविन्द मिश्र के शब्द मेरे भी माने जाएँ आपके प्रति ! शुभकामनायें !

हिमान्शु मोहन said...

बधाई!

Dr. Ayaz ahmad said...

बधाई हो

Vidhu said...

बहुत बहुत बधाई ...

vinay said...

आज आपका यह आलेख देखा,और में सुनील दत्त से सहमत,आपको हार्दिक बधाई ।

ज्योत्स्ना पाण्डेय said...

कोई भी विषय हो मतभेद सभी जगह होते हैं,आप बधाई स्वीकार कीजिये.......

हार्दिक शुभकामनाएं...

कुमार राधारमण said...

badhai lijiye.Aasha hai,is puraskar se Samwaad ke prati bahut saara bhram bhi tutega.Har puraskar ke saath dher saari zimmedariyan bhi badh jati hain aur aap unka nirvah karne men saksham hain.

संजीव द्विवेदी said...

अपने तो हमेशा प्रशंसक होते हैं , इसलिए उसकी प्रशंसा आपको उतना सुख नहीं दे सकती , जितना एक विरोधी के द्वारा आपकी प्रशंसा किए जाने पर होता है। एक विरोधी के द्वारा प्रशंसा किए जाने का अर्थ है कि आप सही राह चल रहे हैं

सहमत,इसका एक कारण यह भी है कि अपनों से प्रशंसा की अपेक्षा होती है जबकि विरोधियों से प्रशंसा अनापेक्षित ।

दिनेश शर्मा said...

लगे रहिए।