Thursday 29 April 2010

व्‍यवसायी के इलाज के लिए रखे गए 65 लाख रूपए बचे ही थे .. उसका उपयोग क्‍यूं नहीं हुआ ??

चार वर्ष पूर्व एक व्‍यवसायी को कैंसर हो गया , उन्‍होने व्‍यवसाय में से एक करोड रूपए निकालकर अलग रखे। इस एक करोड रूपयों को निकाल देने से उनके व्‍यवसाय में रत्‍तीभर का भी फर्क न पडनेवाला था , इसलिए पूरी निश्चिंति से इलाज करवाते रहें । तीन वर्ष तक नवीनतम दवाइयों और ऑपरेशन के बल पर वे सामान्‍य जीवन जी सकने में समर्थ रहें , इन तीन वर्षों में अनुमानत: 35 लाख रूपए खर्च हो चुके थे , पर उसके बाद वे स्‍वर्ग सिधार गए। लोगों का मानना है कि दूसरा कोई होता तो कब उसके प्राण चले गए होते , इन्‍होने तो पैसों के बल पर तीन वर्ष काट लिए। पर मुझे ये बात पच नहीं रही , यदि वे पैसों के बल पर जीवित रहे , तो उनके पास तो इलाज के लिए रखे गए 65 लाख रूपए बचे ही थे , उसका उपयोग क्‍यूं नहीं हुआ ??