'अब उठो भी .. छह घंटे तो सो चुके' जमीन में सोए बारह वर्षीय नौकर शिवम् को पहले बात से , फिर डांट से , फिर मार से उठाने में असफल शीला ने आखिरकार उसपर एक लात जड दिया।
'अरे , क्या कर रही हो ?' बाथरूम से आते शैलेन्द्र की नजर उसपर पडी।
'परेशान कर दिया है इसने .. नींद ही नहीं टूटती इसकी .. पैदा हुआ गरीबों के घर पर .. लेकिन नींद रईसों जैसी आती है इसे'
'उसकी नींद पूरी नहीं हुई है .. उसे थोडी देर और सोने दो'
'सोने के लिए ये यहां आया है क्या .. मेरे नाश्ते में देर हो जाएगी .. आज मजदूर दिवस है .. एक कार्यक्रम में चीफ गेस्ट के तौर पर मेरा आमंत्रण है .. 8 बजे ही वहां पहुंचना जरूरी है'
'चीफ गेस्ट' शैलेन्द्र चौंक पडा .. अब शीला के शहर की सबसे बडी समाजसेविका होने में कोई संदेह नहीं रह गया था।