वैसे भतीजी के विवाह के बाद सास तो मैं बारह वर्ष पूर्व ही बन गयी थी , 28 फरवरी 2011 को घोडी पर चढे दुल्हा बने अपने साले साहब को संभालते हमारे घर के इकलौते दामादजी .....
दस वर्ष पूर्व ही इस प्यारे से नाती की नानी बनने का भी मौका मिल गया , इसे सुंदर ड्रेस से ललचाकर वर के सहबाला बनने को तैयार किया गया हैं ....
सारी तैयारी होने के बाद जयमाल , विधि व्यवहार और विवाह में आजकल देर थोडे ही लगती है , दूसरे दिन 10 बजे स्वागत के लिए तैयार थी भतीजे चि विनीत के साथ हमारी बहूरानी सौ भारती ....
ये दोनो हमेशा खुश रहें , आबाद रहे , बस यही कामना है .. अब बस दादी बनने का इंतजार है ......