tag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post3374916294728787815..comments2023-10-28T20:35:04.817+05:30Comments on गत्यात्मक चिंतन: 70 वर्ष की उम्र से अधिक के वृद्ध की बातें : एक कान से सुनना दूसरे से निकाल देना ही अच्छा है !!संगीता पुरी http://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-34277444988552038132010-01-16T19:18:48.859+05:302010-01-16T19:18:48.859+05:30बहुत अच्छा सन्देश संगीता जी ।बहुत अच्छा सन्देश संगीता जी ।Vinashaay sharmahttps://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-11291508631693076422010-01-15T11:04:03.550+05:302010-01-15T11:04:03.550+05:30बिल्कुल सही कहा आपने हम जो कुछ भी करते है हमारे बच...बिल्कुल सही कहा आपने हम जो कुछ भी करते है हमारे बच्चे अक्सर उसी को करने की कोशिश करते है । बढिया लगा आपका ये लेख पढकर , एक बार फिर आपने अपने सार्थक लेख से मन मोह लिया ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-26569678019535310052010-01-15T10:44:18.258+05:302010-01-15T10:44:18.258+05:30कहते ही हैं की बच्चे बूढ़े एक समान होते हैं..इस उम्...कहते ही हैं की बच्चे बूढ़े एक समान होते हैं..इस उम्र में उनकी इच्छा सिर्फ यही होती है की कोई उन्हें सुन ले..सुनने में और स्वीकार किये जाने योग्य बातें अपनाने में क्या हर्ज़ है ...<br />सार्थक आलेख ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-85679432574941621162010-01-15T07:59:22.869+05:302010-01-15T07:59:22.869+05:30बिल्कुल सही कह रही हैं आप!!बिल्कुल सही कह रही हैं आप!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-33571575088082377932010-01-15T07:33:36.812+05:302010-01-15T07:33:36.812+05:30रूपचंद्र शास्त्री जी ..
सादर नमस्कार !!
पूर्व की...रूपचंद्र शास्त्री जी ..<br />सादर नमस्कार !!<br />पूर्व की टिप्पणी में डा मनोज मिश्रा जी ने भी इस बात पर आपत्ति दर्ज की<br />है .. आपलोगों ने मेरे आलेख को ध्यान से पढा नहीं .. <br /><b>बात समझ में आ गयी है जी!<br />आपका आलेख शिक्षाप्रद है!</b>डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-84764026367275697752010-01-15T06:56:15.825+05:302010-01-15T06:56:15.825+05:30रूपचंद्र शास्त्री जी .. पूर्व की टिप्पणी में डा ...रूपचंद्र शास्त्री जी .. पूर्व की टिप्पणी में डा मनोज मिश्रा जी ने भी इस बात पर आपत्ति दर्ज की है .. आपलोगों ने मेरे आलेख को ध्यान से पढा नहीं .. मैंने तो वैसा शीर्षक जानबूझकर रखा था .. ताकि लोग आकृष्ट होकर अंदर की बातें पढे .. मैं लिखा है...<br /><b>हां, यदि इस समय उनका कोई शौक हो तो उनका जीवन पूर्ववत बना रहता है और वे शरीर या विचार से अपने घरवालों को कोई दबाब नहीं देते हैं।</b><br /><b>ऐसे बुजुर्गों को उनके किसी रूचि के कार्य में उलझाए रखना अति उत्तम होता है। पर यदि वे कुछ करने से भी लाचार हो , तो उनका ध्यान रखना हमारा कर्तब्य है। यदि वे दिन भर सलाह देने का काम करते हों , जिनकी आज कोई आवश्यकता नहीं , तो बेहतर होगा कि हम एक कान से उनकी बात सुने और दूसरे ही कान से निकाल दें , पर किसी प्रकार की बहस कर उनका मन दुखाना उचित नहीं है , बस उनकी आवश्यकता की पूर्ति करते रहें , वे खुश रहेंगे</b>संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-68884188530539389092010-01-15T06:50:46.434+05:302010-01-15T06:50:46.434+05:3070 वर्ष की उम्र से अधिक के वृद्ध की बातें : एक कान...70 वर्ष की उम्र से अधिक के वृद्ध की बातें : एक कान से सुनना दूसरे से निकाल देना ही अच्छा है !<br /><br />इसमें एक वाक्य और जोड़ना जाहता हूँ-<br />किन्तु,<br />सारी बातें एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देना ही अच्छा नही है!!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-82808013839207017422010-01-14T15:45:12.327+05:302010-01-14T15:45:12.327+05:30ांअपसे सहमत हूँ आपको मकर संक्रांति की शुभकामनायेंांअपसे सहमत हूँ आपको मकर संक्रांति की शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-56673895750909108202010-01-14T13:43:12.075+05:302010-01-14T13:43:12.075+05:30"""यदि वे दिन भर सलाह देने का काम क..."""यदि वे दिन भर सलाह देने का काम करते हों , जिनकी आज कोई आवश्यकता नहीं , तो बेहतर होगा कि हम एक कान से उनकी बात सुने और दूसरे ही कान से निकाल दें , पर किसी प्रकार की बहस कर उनका मन दुखाना उचित नहीं है , बस उनकी आवश्यकता की पूर्ति करते रहें , वे खुश रहेंगे !!..."""<br />......ऐसा नहीं है ,हम उनकी बातों पर गौर भी फरमाएं , वे हमसे अनुकरण चाहते हैं .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-62387240184490732812010-01-14T13:21:38.281+05:302010-01-14T13:21:38.281+05:30एक बार एक रिश्तेदार से बात हो रही थी. उस समय उन्हो...एक बार एक रिश्तेदार से बात हो रही थी. उस समय उन्होंने भी कुछ ऐसे ही शब्द कहें थे. उनके वृद्ध पिता की हर काम में सलाह देने की आदत थी . मुझे किसी भी बुजुर्ग के साये में रहने का मौका नहीं मिला हैं अभी तक. उनकी बात से मुझे लगा कि शायद वो अपने पिता का अपमान कर रहें हैं. सो में उनसे रुष्ट हो गया. परन्तु आपका लेख पढके लगा कि शायद वो सही कह रहे थे.Yashwant Mehta "Yash"https://www.blogger.com/profile/02457881262571716972noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-59698542602558212292010-01-14T12:46:17.457+05:302010-01-14T12:46:17.457+05:30ek sargarbhit lekh.ek sargarbhit lekh.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-56428824825341752472010-01-14T12:31:02.822+05:302010-01-14T12:31:02.822+05:30यदि वे दिन भर सलाह देने का काम करते हों , जिनकी आज...यदि वे दिन भर सलाह देने का काम करते हों , जिनकी आज कोई आवश्यकता नहीं , तो बेहतर होगा कि हम एक कान से उनकी बात सुने और दूसरे ही कान से निकाल दें , पर किसी प्रकार की बहस कर उनका मन दुखाना उचित नहीं है , बस उनकी आवश्यकता की पूर्ति करते रहें , वे खुश रहेंगे !! <br />सच और सही - आभार.Anonymousnoreply@blogger.com