tag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post8766029754986640239..comments2023-10-28T20:35:04.817+05:30Comments on गत्यात्मक चिंतन: अपनी प्रकृति के अनुसार काम न कर पाने से आत्मविश्वास पर बुरा प्रभाव पडता है !!संगीता पुरी http://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-57968696519394523032010-01-17T18:16:13.930+05:302010-01-17T18:16:13.930+05:30इसी विषय से मिलती,जुलती एक कहानी लिख रहा हूँ,परिवर...इसी विषय से मिलती,जुलती एक कहानी लिख रहा हूँ,परिवर्तन हाँ,पड़ तो कोई नहीं रहा,बस उड़नतशतरी जी के उस कहानी को ध्यान से पड़ने के कारण लिखता जा रहा हूँ,और वोह कारण उनकी एक टिप्प्णी से झलकता है,विषय तो आपके इस लेख से मिलता,जुलता है,और उसमें यह भी समावेश किया गया है एक युवक को,उसकी मनोवेग्यनिक कमियों के कारण क्या,क्या सहन करना पड़ता है,वैसे तो में किसी को अपने लेख पड़ने के लिये बाध्य नहीं करता,मालुम नहीं इस भावना ने जन्म कैसे ले लिया,अभी परिवर्तन के तीन भाग लिख चुका हूँ ।Vinashaay sharmahttps://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-71108636351183384002010-01-17T14:02:00.927+05:302010-01-17T14:02:00.927+05:30Aapki baat se sahmat hoon.Aapki baat se sahmat hoon.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-27511344814070656702010-01-17T10:53:37.197+05:302010-01-17T10:53:37.197+05:30हमारे जमाने में यह सुविधा नहीं थी, जैसा पिताजी चाह...हमारे जमाने में यह सुविधा नहीं थी, जैसा पिताजी चाहते थे, वैसा ही संतानों को करना होता था। यह सुविधा तो आज की पीढ़ी को है कि वह जो चाहे बने। अच्छे विचार के लिए बधाई।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-2100862478830445982010-01-17T08:20:40.632+05:302010-01-17T08:20:40.632+05:30आपके आलेख से सहमत हूं।आपके आलेख से सहमत हूं।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-66632405877799358222010-01-17T08:07:05.657+05:302010-01-17T08:07:05.657+05:30????????????????????Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-52829803658249739172010-01-17T08:06:42.202+05:302010-01-17T08:06:42.202+05:30खास कर नारी को अगर ये स्वेच्छा राज़ी ख़ुशी से दी ज...खास कर नारी को अगर ये स्वेच्छा राज़ी ख़ुशी से दी जाती है और उसे परिवार का पूरा सहयोग मिलता है तो घर परिवार मे कलह कि गुंजाईश नहीं रहेगी, अगर परिवार खुश तो समाज भी तनाव रहित बनेगा पर ऐसा हों सकता है क्या????????Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-82150837044726197552010-01-17T07:17:04.143+05:302010-01-17T07:17:04.143+05:30सही कहा आपनें ,मनोभावों को नजरंदाज़ नही करना चाहि...सही कहा आपनें ,मनोभावों को नजरंदाज़ नही करना चाहिए.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-51773134159190557702010-01-17T06:58:18.276+05:302010-01-17T06:58:18.276+05:30अनुभवी कलम से निकला एक सार्थक लेख!
लेख में आपका श्...अनुभवी कलम से निकला एक सार्थक लेख!<br />लेख में आपका श्रम झलक रहा है।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-9468293287362728662010-01-17T01:46:34.580+05:302010-01-17T01:46:34.580+05:30बहुत अच्छा आलेख। आपसे सहमत हूं।बहुत अच्छा आलेख। आपसे सहमत हूं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2552035988740236034.post-59275657994412565592010-01-17T00:01:40.460+05:302010-01-17T00:01:40.460+05:30कहा गया है की जहाँ चाह वही राह अगर हम अपनी प्रकृति...कहा गया है की जहाँ चाह वही राह अगर हम अपनी प्रकृति के अनुसार राह चुनते है तो हमें एक आंतरिक बाल मिलेगा जिससे हमारा मार्ग प्रशस्त होता है..और उल्टा चलने का परिणाम तो बुरा है ही...शायद उतनी सफलता ना मिले जितना प्रकृति के अनुसार मिलती है..बढ़िया प्रसंग..धन्यवाद संगीता जीविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.com