Tuesday 5 May 2020

क्‍या सचमुच हमारे सोने के चेन में उस व्‍यक्ति का हिस्‍सा था ??

Manav adhikar ke prakar

क्‍या सचमुच हमारे सोने के चेन में उस व्‍यक्ति का हिस्‍सा था ??

मानव अधिकारों की परिभाषा में मानव को प्रकृति से प्राप्त कुछ स्वाभाविक शामिल किया गया है, मनुष्य अपने जन्म से ही कुछ अधिकार लेकर आता है। प्रकृति से प्राप्त होने के कारण ये स्वाभाविक रूप से मानव स्वभाव मे निहित होते है। जैसे जीवित रहने का अधिकार, स्वतंत्रतापूर्वक विचरण करने का अधिकार।इसके अलावा  शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आर्थिक कमजोरी या मजबूती जन्म लेते ही या जीवन-भर प्राप्त होती रहती है। इसलिए तो भारतीय परम्परा में भाग्य का बलवान होना, अच्छे कर्मों का फल अच्छा मिलना और पुनर्जन्म आदि की चर्चा होती रहती है। माना जाता है कि अपने हिस्से का सुख-दुःख मनुष्य को अवश्य मिलता है। 

कभी कभी जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं अवश्‍य घट जाती हैं , जिसे संयोग या दुर्योग का पर्याय कहते हुए हम भले ही उपेक्षित छोड दें , पर हमारे मन मस्तिष्‍क को झकझोर ही देती है। आध्‍यात्‍म को मानने वाले इस बात को समझ सकते हैं कि निश्चित परिस्थितियों और निश्चित सीमाओं में ही रहकर व्‍यक्ति अपने जीवन जीने को बाध्‍य हैं और जो भी अधिक या कम प्राप्‍त करता है , उसमें प्रकृति का सहयोग या असहयोग स्‍पष्‍टत: झलकता है। इसी वर्ष 8 फरवरी को मैने क्‍या प्रकृति में लेने और देने का परस्‍पर संबंध होता है ?? नामक एक पोस्‍ट किया था , जिसमें लिखा था कि अनजाने में किस प्रकार मैने एक अपरिचित महिला का आतिथ्‍य करने के दो महीने बाद उसे उसी के घर जाकर वसूल लिया था इसी प्रकार की एक और घटना मेरे जीवन में घट चुकी है , जिससे मेरी समझ में एक बात आ गयी है कि इस प्रकृति में सबों को हिस्‍सा तय है और वह हर व्‍यक्ति प्राप्‍त कर ही लेता है।

manav adhikar ke prakar

बात मेरे बचपन की है , जब गांव गांव में सोने चांदी की सफाई करनेवाले एक व्‍यक्ति ने मेरे घर में दस्‍तक दी। मम्‍मी के द्वारा दरवाजा खोलते ही उसने सोने और चांदी को साफ कर बिल्‍कुल नया कर देने का दावा किया। सोने के गहने तो महिलाएं किसी अनजान को नहीं सौंपती , पर चांदी में ऐसा कोई बडा रिस्‍क नहीं होता। मम्‍मी मेरी दो वर्ष की छोटी बहन के पैरों की गंदी पायल को साफ करवाने का लालच न रोक पायी। 

उसकी मजदूरी देकर मम्‍मी तो उसे वापस लौटाने की कोशिश कर रही थी , पर उसकी नजर तो मम्‍मी के गले में पडी सोने की चेन पर थी। उसने मम्‍मी को कहा कि दो मिनट में आपकी चेन भी बिल्‍कुल नई हो जाएगी। मम्‍मी काफी देर तक 'ना' 'ना' करती रही , पर उसके बहुत जिद करने पर कि चुटकियों में वह उनकी चेन को साफ कर देगा , थोडे लालच में पड गयी। दरअसल एक दो दिनों में उन्‍हें एक विवाह के सिलसिले में बाहर भी जाना था , वह भी एक वजह बन गयी।

पर उस व्‍यक्ति की मंशा तो कुछ और थी, हाथ में चेन मिलते ही उसने सफाई के क्रम में चेन को ऐसी प्रक्रियाओं से गुजारा कि दो मिनट की जगह मम्‍मी को दस मिनट इंतजार करना पडा। उसके बाद चेन का वजन काफी हल्‍का हो गया था , मम्‍मी ने हाथ में लेते ही ऐसा महसूस किया। मम्‍मी के हल्‍ला मचाने पर वह भागनेवाला ही था कि गांव के कुछ लोगों ने उसे घेर लिया। 

अपने को मुसीबत में घिरा पाकर उसने अपनी गल्‍ती स्‍वीकार की और अपने अम्‍ल के घोल में से सोना निकालकर वापस करने का वादा किया। उसने कई ईंट को जोडकर चूल्‍हा बनाया , एक कटोरे में कुछ रखकर उसे काफी देर खौलाता रहा और उसके बाद 8 ग्राम के लगभग सोने का एक चमकता टुकडा निकालकर वापस लौटाया। उसके बाद थाने और पुलिस की धमकी दे रहे सारे गांव के लोगों ने उसपर रहम खाते हुए उसे माफ करते हुए इस शर्त के साथ वापस भेज दिया कि अब वो ऐसा काम नहीं करेगा , क्‍यूंकि इस प्रकार लोगों को धोखा देने से कभी भी वह विपत्ति में पड सकता है।

काफी दिनों बाद हमलोग उस बात को भूल ही गए थे। मेरे विवाह के वक्‍त मेरी मम्‍मी ने उस टुकडे को निकाला और मेरी चेन में उसे मिला दिया। विवाह के बाद मैं उसे हमेशा पहनने लगी। एक दिन हमलोग घर में अकेले थे कि सोने और चांदी की सफाई करने का पाऊडर बेचता हुआ एक लडका आया। सफाई के मामलों में अधिक रूचि रखने वाले , इस प्रकार के हर प्रोडक्‍ट में दिलचस्‍पी रखनेवाले मेरे पति बरामदे में ही बैठे थे। इन्‍होने उसे बिठा लिया और उसके प्रोडक्‍ट को देखने लगे। बातचीत की आवाज सुनकर मैं भी बरामदे में आयी , तो इन्‍होने मेरा पायल मांगा। उसे देखते ही मुझे पुरानी बातें याद आ गयी , मैने इन्‍हें चुपचाप बुलाकर सारी बातें बतायी , पर इन्‍होने मुझसे पायल ले ही लिया।एक मिनट में उसने पायल को चमका दिया , जिसे देखकर ये काफी खुश हुए।

जैसे ही मैं अंदर से बाहर आयी , इन्‍होने मुझसे चेन मांगा ,मै 'ना' 'ना' कहती रही , पर इन्‍होने कहा कि वे खुद अपने हाथों से उसके इंस्‍ट्रक्‍शन के अनुसार सफाई करेंगे। मुझे चिंति‍त होने की कोई आवश्‍यकता नहीं। इनपर विश्‍वास करके मैने अपना चेन उतारकर दे दिया। वह लडका मेरे को अच्‍छी तरह समझ चुका था , इसलिए  मुझे व्‍यस्‍त करने का एक तरीका ढूंढ निकाला था , बार बार मुझसे कुछ न कुछ मांगता , एक छोटा बरतन , थोडा सा पानी या कुछ और चीज। और इसी क्रम में वह इनके हाथ से चेन ले चुका था। फटाफट उसने क्‍या क्‍या करके मेरे चेन को भी हल्‍का कर दिया। 

मैने हाथ में लेकर इस बात का अंदाजा करने की कोशिश की , पर जबतक समझती और इन्‍हें समझाती , वह रफूचक्‍कर हो चुका था। इन्‍होने तुरंत स्‍कूटर स्‍टार्ट कर पूरे शहर को छान मारा , पर वो कहीं भी दिखाई नहीं दिया। न तो इस घटना से पहले या उसके बाद आजतक कभी भी मेरे पति किसी भी ठगी के शिकार हुए हैं। उसी चेन का कुछ हिस्‍सा , जो मेरी मम्‍मी से नहीं छीना जा सका था , वही अंश मेरे द्वारा वसूल कर लिया गया था । सोचने को बहुत कुछ मजबूर कर देती है ये घटना , क्‍या सचमुच हमारे चेन में उसका हिस्‍सा था ?

10 comments:

मनोज कुमार said...

रोचक!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

किस्सा तो रोचक है...पर एक बार घटना देख लेने के बाद फिर से धोखा खाना ...पर शायद इसी को भाग्य कहते हैं

राज भाटिय़ा said...

अब मन को समझाने के लिये ही यह खयाल अच्छा है,लेकिन जो हुआ बहुत गलत हुआ

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपके लेख से निश्चित बहुतों ही सीख मिलेगी!
रोचक और शिक्षाप्रद आलेख!

आभा said...

ऐसा होने के बाद यही सोचना अब बाकी रह गया ....आगे के लिए सबक बस आप की बेटी ऐसा न करें यही अच्छा हो..

rashmi ravija said...

बहुत कुछ सोचने पर विवश कर गया यह प्रसंग...कभी कभी ऐसे घटनाक्रम गुजरते हैं आँखों के सामने कि हम हतप्रभ से बस सोचते ही रह जाते हैं.

kshama said...

Aise logon pe khabhi wishwas nahee karna chahiye...

vandana gupta said...

kuch baaton par hamara vash nhi hota aur jo hona hota hai wo hokar rahta hai.......phir bhi kafi kuch sikhne ko mila.

Vinashaay sharma said...

ठगी करने वाले तरह,तरह के हथकन्डे अपनाते हैं,इन ठगों से सावधान रहना चाहिये ।

विवेक रस्तोगी said...

वाकई ऐसे वाकियों को सुनकर देखकर अपनी पुरानी बातें याद आ जाती हैं, और महसूस होता है कि जिसकी किस्मत की जो चीज होती है या वह जिस चीज का हकदार होता है उसे मिलता ही है, फ़िर भले ही वह किसी के लिये बुरी हो याद किसी के लिये अच्छी हो।