Friday 13 March 2009

कम्‍प्‍यूटर के विशेषज्ञ और हिन्‍दी प्रेमी ... क्‍या एक जानकारी देगे मुझे ?

कंप्‍यूटर के विज्‍युअल बेसिक के प्रोग्रामिंग प्‍लेटफार्म पर 2002-2003 में मैने ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ के जन्‍मदाता श्री विद्यासागर महथा जी के 40 वर्षो के सतत् अध्‍ययन और मौलिक चिंतन द्वारा विकसित किए गए खुद के सिद्धांतों पर आधारित ‘प्रीडेस्‍टीनेशन’ नामक एक साफ्टवेयर विकसित किया था। नवीनतम सिद्धांतो और कई प्रकार के ग्राफों के फार्मूलों से युक्‍त यह साफ्टवेयर अभी तक सिर्फ हमारे ही कम्‍प्‍यूटर की शोभा बढा रही है , न तो इसे पेटेण्‍ट करवाया जा सका है और न ही यह बाजार में आ पायी है । अभी सबसे पहले तो इस नाम पर ही मुझे आपत्ति हो रही है , क्‍योंकि उस वक्‍त मेरे दिमाग में यही अंग्रेजी शब्‍द आया था , जो आज अपने साफ्टवेयर के लिए अनुकूल नहीं लग रहा है। वैसे इस साफ्टवेयर के लिए ‘प्रीडेस्‍टीनेशन’ शब्‍द के बदले इसके हिन्‍दी शब्‍द ‘प्रारब्‍ध’ या अन्‍य किसी शब्‍द का उपयोग किया जा सकता है , पर फिर भी आप सभी हिन्‍दी प्रेमियों से अनुरोध है कि इस साफ्टवेयर के लिए कोई उपयुक्‍त हिन्‍दी नाम सुझाएं।


इसे विकसित करने में गणित के सारे फामूर्लों के साथ ही साथ अन्‍य तरह के ग्राफ के फार्मूलों को डालने में मुझे अधिक मुश्किल नहीं हुई , पर हिन्‍दी में भविष्‍यवाणी के प्रोग्रामिंग करने की बारी आयी , तो मुझे काफी दिक्‍कतों का सामना करना पडा। उस समय कंप्‍यूटर पर हिन्‍दी में काम करनेवाले ही सिर्फ मेरी समस्‍या को समझ सकते हैं। उस समय मैं कृतिदेव में हिन्‍दी लिखा करती थी , जिसे उस प्‍लेटफार्म पर लिखना संभव नहीं था। इसलिए मै माइक्रोसोफ्ट वर्ड पर हिन्‍दी लिखा करती और उसमें उद्धरण चिन्‍ह देकर उसे अपने साफ्टवेयर के कोड में डाल दिया करती थी। फिर भी ‘श्‍‘ और ‘ष्‍‘ जैसे कई अन्‍य शब्‍दों को लिखना कठिन होता था , क्‍योकि ‘ और “ शब्‍द उसके कोड में प्रयुक्‍त होते थे । ‘श्‍‘ और ‘ष्‍‘ जैसे शब्‍दों को मैने टेक्‍स्‍ट बाक्‍स में डालकर और उनका मूल्‍य लेकर अन्‍य जगहों पर प्रयुक्‍त कर दिया था और इस तरह इस समस्‍या का समाधान भी मुझे उस वक्‍त मिल गया था।


जैसा कि गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष की मान्‍यता है , यदि गणित सही हो तो समय के परिवर्तन के बाद भी ज्‍योतिष के गणित के क्षेत्र में तो कोई परिवर्तन करना आवश्‍यक नहीं होता , पर चूंकि भविष्‍यवाणियां सांकेतिक होती हैं , फलित के क्षेत्र में नए नए अनुभव जुडने से बाद कभी भी इस साफ्टवेयर की भविष्‍यवाणियों में किसी प्रकार के भी परिवर्तन करने की जरूरत पड सकती है , इस कारण मुझे अक्‍सर दिक्‍कतों का सामना करना पडता है। सारे शब्‍दों को कापी करके उसे माइक्रोसाफ्ट वर्ड में पेस्‍ट कर फिर उसमें सुधार कर विज्‍युअल बेसिक के कोड में जाकर पेस्‍ट करना पडता है। यह समस्‍या मेरे साथ हमेशा ही बनी रहेगी , क्‍योंकि ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिषीय अनुसंधान केन्‍द्र’ के अनुभवों को समय समय पर साफ्टवेयर में जोडना आवश्‍यक होगा।


मेरे ख्‍याल से यूनिकोड के विकास के साथ इस समस्‍या का हल निकल जाना चाहिए था। हालांकि इससे मेरा काम तो बहुत बढेगा , क्‍योंकि सारे शब्‍दों को फिर से यूनिकोड में टाइप करना पडेगा , पर अपने साफ्टवेयर के कोड में अंग्रेजी में लिखे उलूल जुलूल शब्‍दों में एक अंधे की तरह हिन्‍दी ढूंढने की समस्‍या से तो अवश्‍य ही छुटकारा मिल जाएगा। पर अभी तक मैं इंतजार ही कर रही हूं , कल भी मैने कोशिश करके देखा , उसमें यूनिकोड लिखने पर प्रश्‍नवाचक चिन्‍ह आ जाते हैं। मैं कम्‍प्‍यूटर के विशेषज्ञों से यह जानकारी चाहती हूं कि विज्‍युअल बेसिक के कोड में अभी तक यूनिकोड लिखने की सुविधा हुई है या नहीं ? यदि हुई है तो इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए क्‍या इसके नए संस्‍करण को इंस्‍टाल करना पडेगा ? या फिर उसके लिए सेटिंग में किसी बदलाव की आवश्‍यकता होगी ? यदि विज्‍युअल बेसिक के कोड में अभी तक यूनिकोड लिखने की सुविधा नहीं हुई है तो इसके लिए अभी मुझे कितने दिनों तक इंतजार करना पड सकता है ? मैं अपने पूरे साफ्टवेयर के हिन्‍दी की भविष्‍यवाणियों को यूनिकोड में बदलना चाहती हूं , ताकि यह साफ्टवेयर सिर्फ मेरे लिए ही नहीं , सभी उपयोगकर्ता के लिए सुविधाजनक बन सके।