Thursday, 11 February 2010

आप ठंड के दिनों में भी ताजे और स्‍वादिष्‍ट दही का मजा ले सकते हैं !!

हमारे शरीर को जितने आवश्‍यक तत्‍वों की जरूरत होती है .. जल , चर्बी , प्रोटीन , शक्‍कर के साथ ही साथ नमक भी दूध से प्राप्‍त हो जाते हैं। इसलिए दूध को एक संपूर्ण आहार कहा गया है। गाय के अतिरिक्‍त भैंस , भेड , बकरी , रेन्डियर और ऊंट से भी दूध प्राप्‍त किया जाता है। दूध में जब थोडी मात्रा में  दही डाल दिया जाता है , तो धीरे धीरे सारा दूध ही दही बन जाता है। दूध में मौजूद केसिन नामक प्रोटीन में मनुष्‍य के शरीर के लिए अमीनो अम्‍ल पर्याप्‍त मात्रा में मौजूद होता है। लैक्टिक अम्‍ल का बैक्‍टेरिया प्रोटीन के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करता है , तो सारा दूध दही में बदल जाता है। यह दही हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक है और प्राचीन काल से ही मानव खाने में इसका उपयोग कर रहे हैं। कुछ लोग दही को शक्‍कर के साथ लेते हैं , तो कुछ नमक के साथ भी। बंगाल में दूध को दही में बदलने से पहले ही इसमें चीनी मिला दी जाती है , ताकि 'मिष्‍टी दोई' तैयार हो सके। मध्‍य प्रदेश में श्रीखंड और पंजाब में लस्‍सी के रूप में दही का उपयोग किया जाता है। दही न सिर्फ शारीरिक आवश्‍यकताओं को ही पूरी करता है , वरन् दही के उपयोग से हमारा पाचन संस्‍थान अच्‍छे ढंग से काम करता हैं।

दूध से दही अच्‍छी तरह जमने में चार घंटों का समय पर्याप्‍त होता है , पर इसके लिए दूध को उतने समय तक लगातार 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर छोडना होगा। गर्मियों के दिन में दूध उतने देर तक गर्म रह जाता है , इसलिए चार घंटे में दही जम जाती है और उस दही में अच्‍छा स्‍वाद होता है , साथ ही वह फायदेमंद भी होता है। पर सर्दियों में चार घंटों में दही का जमना मुश्किल है,  देर से दही जमें , तो स्‍वाद में अंतर आता है । इसलिए व्‍यवस्‍था ऐसी रखी जानी चाहिए कि चाहे कोई भी मौसम हो , चार घंटे में ही दही जम जाए। छोटी मात्रा में दही जमाने के लिए तो अब कई उपकरण है , इसलिए दिक्‍कत की कोई बात नहीं। कैसरोल में भी दूध को गर्म कर जामन डाल देने से दही अच्‍छी तरह जम जाता है। पर बडी मात्रा में दही जमाना आज भी बडा भारी काम है।  कभी कभी तो रातभर रखने के बावजूद दही नहीं जमता , दूध ज्‍यों का त्‍यों पडा रह जाता है। वैसी हालत में उस दूध को थोडी देर धूप में रख दें , तो दही जम जाता है , पर उसका स्‍वाद सामान्‍य नहीं रह पाता। इसलिए सर्दियों में थोडा ध्‍यान देकर दही जमाना  चाहिए। सर्दियों में गर्मियों की तुलना में कुछ अधिक मात्रा में जामन डाली जानी चाहिए। दही जमानेवाले दूध को भी गर्मियों की तुलना में अधिक गर्म रखा जाना चाहिए। सर्दियों में दिन में ही दही जमा लेना बहुत अच्‍छा रहता है , यदि रात में ही दही जमाने की मजबूरी हो , तो बरतन के पेंदे को गर्म रखने की पूरी व्‍यवस्‍था की जानी चाहिए। इसके अलावे उसे इस ढंग से ढंककर रखें कि दूध चार छह घंटों तक ठंडा न होने पाए। जाडे में दही जमाते वक्‍त बहुत लोग बरतन को कंबल से भी अच्‍छी तरह ढंक दिया करते हैं। इन सब उपायों से आप ठंड के दिनों में भी ताजे और स्‍वादिष्‍ट दही का मजा ले सकते हैं !!




10 comments:

vikas mehta said...

jankari ke lye dhnywad

निर्मला कपिला said...

bबहुत अच्छी जानकारी है मै तो फ्रिज के सटेबिलिजर पर रख देती हूँ उपर से कपडा दे कर बस 4 घन्टे मे दही तैयार। धन्यवाद्

Parul kanani said...

nice trick !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

a बहुत उपयोगी जानकारी है जी!
कपिला जी ने b तो मेंने A लिख दिया!

रानीविशाल said...

Achhi Jaankari...Dhanyawaad!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

मनोज कुमार said...

मैं इस आलेख में इस पंक्ति को खोज रहा था ..
बंगाल में दूध को दही में बदलने से पहले ही इसमें चीनी मिला दी जाती है , ताकि 'मिष्‍टी दोई' तैयार हो सके।
मिल गया।
और मैं रोज़ मिश्टी दोई खाता हूँ।

Udan Tashtari said...

भारत में हमने देखा था कि ठंड में फ्रिज के स्टेबलाईजर पर अम्मा भगोना रख देती थी और सुबह मस्त दही जमा मिलता था. स्टैबलाईजर रुम टैम्प्रेचर से ज्यादा रहाता था इसलिये.

Vinashaay sharma said...

उपयोगी जानकारी ।

Urmi said...

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया जानकारी ! धन्यवाद!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सर्दियों में गर्मियों की तुलना में कुछ अधिक मात्रा में जामन डाली जानी चाहिए।
..उपयोगी जानकारी.