Saturday, 1 May 2010

आज पहली मई है ना .. एक कार्यक्रम में चीफ गेस्‍ट के तौर पर मेरा आमंत्रण है !!

'अब उठो भी .. छह घंटे तो सो चुके' जमीन में सोए बारह वर्षीय नौकर शिवम् को पहले बात से , फिर डांट से , फिर मार से उठाने में असफल शीला ने आखिरकार उसपर एक लात जड दिया।
'अरे , क्‍या कर रही हो ?' बाथरूम से आते शैलेन्‍द्र की नजर उसपर पडी।
'परेशान कर दिया है इसने .. नींद ही नहीं टूटती इसकी .. पैदा हुआ गरीबों के घर पर .. लेकिन नींद रईसों जैसी आती है इसे'
'उसकी नींद पूरी नहीं हुई है .. उसे थोडी देर और सोने दो'
'सोने के लिए ये यहां आया है क्‍या .. मेरे नाश्‍ते में देर हो जाएगी .. आज मजदूर दिवस है .. एक कार्यक्रम में चीफ गेस्‍ट के तौर पर मेरा आमंत्रण है .. 8 बजे ही वहां पहुंचना जरूरी है'
'चीफ गेस्‍ट' शैलेन्‍द्र चौंक पडा .. अब शीला के शहर की सबसे बडी समाजसेविका होने में कोई संदेह नहीं रह गया था।

12 comments:

मनोज कुमार said...

वाह! क्या कटाक्ष है?!
बहुत सही व्यंग्य!

कविता रावत said...

मजदूर दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में चीफ गेस्‍ट के तौर पर मेरा आमंत्रण है .. 8 बजे ही वहां पहुंचना जरूरी है' ...
... sundar vyang chitran vastavikta ke kareeb.... aisa hi hota aa raha hai...
Saarthak lekh ke liye dhanyavaad...

Safat Alam Taimi said...

बधाई!बहन जी, बिल्कुल सही लिखा है आपने, आज ऐसी ही मानसिकता लोगों की बनी हुई है

आज हमारे समाज में ग़रीबों और बेसहारों के प्रति जो शोषण की मानसिकता बनी हुई है इसका बहिष्कार होना चाहिए यदि समाज का कोई एक वर्ग आर्थिक एवं सामाजिक रूम में सम्पन्न है तो इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि वह निर्धनों और कमज़ोरों का ख़ून चूसने लगें।

अविनाश वाचस्पति said...

मजे से दूर रहना चाहिए

सो कैसे रहा है मजदूर

Arvind Mishra said...

यह है कटाक्ष की धार ....बहुत कुछ कह रही है आपकी यह पोस्ट !

Arvind Mishra said...

यह है कटाक्ष की धार ....बहुत कुछ कह रही है आपकी यह पोस्ट !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मई दिवस को नमन!

rashmi ravija said...

बहुत ही गहरा कटाक्ष..इतने कम शब्दों में आपने गहरी बात कह दी.. ..शर्मनाक है ऐसी सोच

Dr. C S Changeriya said...

bahut khub


badhai is ke liye aap ko


hame to koi bulata hi nahi he

Dr. C S Changeriya said...

bahut khub


badhai is ke liye aap ko

अजय कुमार झा said...

एक दम सटीक धुलाई । आज का सच यही और सिर्फ़ यही है

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कटाक्ष करती सुन्दर लघु कथा ....क्या भला होगा ऐसी समाजसेविका से? और क्या उम्मीद करें?