Monday, 3 May 2010

एक बार बेईमानी करने से जीवनभर का लाभ समाप्‍त हो जाता है !!

कुछ जरूरी चीजों को लेने के लिए आज मैं बाजार निकली , मेरे पर्स में बिल्‍कुल पैसे नहीं थे , सो एटी एम की ओर बढी। काफी भीड की वजह से लगी लंबी लाइन में लगकर मैने ए टी एम से 5,000 रूपए निकाले , जिसमें एक एक हजार के चार नोट , 500 के एक नोट और सौ सौ के पांच नोट थे। एक दुकान में मैने दो सौ का सामान लिया , वहां 500 रूपए दिए , जिसमें से दुकानदार ने 300 रूपए लौटाए। एक और दुकान में मैने तीन सौ रूपए दिए। फिर एक दुकान में चार सौ का सामान लिया , मैने उसकी ओर हजार के नोट बढाए , उसने मुझे 100 रूपए लौटाए , काफी हडबडी में होने की वजह से उसे लेकर मैं सीधा आगे बढ गयी। मुझे लगा कि यहां भी मैने 500 के ही नोट दिए हैं। पर तीसरे दुकान में सामान लेने के वक्‍त मुझे याद आया कि मेरे पास तो 500 के एक ही नोट थे , फिर चेक किया तो पाया कि 1000 के नोटों में से एक कम है। मैं भागी हुई दुकान की ओर गयी , पर तबतक दुकान बंद करने का समय हो गया था। बाजार के बाकी काम निबटाकर मैं घर चली आयी , सारे सामानों के मूल्‍य को जोडा तो हिसाब में पूरे 500 रूपए कम थे ।

मैं शाम को फिर से बाजार गयी , वह दुकान खुली हुई थी। मैने जाकर दुकानदार को पूरी बात बतायी , पर वह मानने को तैयार ही नहीं हुआ कि मैने उसे 1,000 रूपए का नोट दिया है। मेरे पास बचे 1,000 रूपए के बाकी नोट एक ही सीरिज के थे , उन्‍हें दिखाकर मैने कहा कि वह चेक कर ले कि उसके बिक्री के पैसे में इस सीरिज के नोट हैं या नहीं ? पर वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। याद उसे दिलाया जाता है , जो सच में कुछ भूल रहा हो। जो जानबूझकर भूलने का नाटक कर रहा हो , उसे तो कुछ कहा भी नहीं जा सकता। वह अंततक कहता रहा कि मैने उसे हजार के नोट न देकर 500 के नोट दिए हैं। पर मैं इस बात को नहीं मान सकी , क्‍यूंकि मेरे पास पांच सौ के दो नोट थे ही नहीं। पर यहां गल्‍ती मेरी ही थी , इसलिए मेरे अधिक कह पाने का कुछ सवाल ही नहीं था। मैं लौट आयी , रास्‍ते भर यही सोंचती रही कि 500 रूपए की बेईमानी कर वह मेरा भाग्‍य ता नहीं छीन सकता , पर उसने मेरे द्वारा होनेवाली अपने पूरे जीवन की कमाई का नुकसान अवश्‍य कर लिया है । क्‍या अब मैं उसकी दुकान पर जीवनभर जा सकूंगी ??

11 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

एक बार बेईमानी करने से जीवनभर का लाभ समाप्‍त हो जाता है !!

बिलकुल सही कहा आपने.......

Amit Sharma said...

मेरे सामने ऐसे तीन चार वाकये हुए है जब इस तरह की घटना के बाद, बेईमानी का सौदा उनके लिए दुर्घटना का सौदा बना है . ईश्वर किसी का बुरा ना करे लेकिन उसे जल्द ही अपनी करनी का पछतावा होगा

अनामिका की सदायें ...... said...

itti chhoti chhoti baato ki gahrayi sab samajh le to kafi samasyao ka hal aasani se ho sakta hai. lekin lalach aur kam-akal log ye sab jaldi se nahi samajh pate.
acchi post.

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

500 रूपए की बेईमानी कर वह मेरा भाग्‍य ता नहीं छीन सकता , पर उसने मेरे द्वारा होनेवाली अपने पूरे जीवन की कमाई का नुकसान अवश्‍य कर लिया

थोड़े लाभ के लिए उसने अपना बड़ा नुकसान कर लिया।

महेश कुमार वर्मा : Mahesh Kumar Verma said...

जानबूझकर लोगों को गलती या बेईमानी नहीं करनी चाहिए.

विवेक रस्तोगी said...

जी हाँ इसे कहते हैं चोट्टाई, कि मेरा माल तो है ही मेरा तेरा भी मेरा है।

डॉ महेश सिन्हा said...

बात तो आपकी ठीक लगती है
लेकिन इस देश के बड़े बड़े चोट्टों पर इसका कोई असर तो नहीं दिखता . खुले आम देश से चोरी कर रहे हैं .

honesty project democracy said...

संगीता जी ज्यादातर लोगों का जमीर मर गया है / ऐसे लोगों को वक्त ही इंसाफ कर सबक सिखाता है /

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

प्रेरक पोस्ट!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सही कहा आपने....केवल अपनी कमाई ही नहीं खोयी...अपने कुछ अच्छे कर्म भी घटा लिए....

अन्तर सोहिल said...

वो चोरटा भूलने का नाटक ही कर रहा था जी
लेकिन ऐसे लोगों को कभी बरकत नही होती
केवल 500 के बदले उसने अपना जाने कितना नुक्सान कर लिया है।
प्रणाम