मेरे पिछले आलेख के अंतिम वाक्य "वैसे जो भी हो , जिन भविष्यवाणियों को करने के लिए हमें गणनाओं का ओर छोर भी न मिल रहा हो , उसे आसानी से बता देने के लिए ऑक्टोपस और उनके मालिक को बधाई तो दी ही जा सकती है" पर हमारे कुछ मित्रों को गंभीर आपत्ति हुई है । उनका कहना है कि जब ऑक्टोपस द्वारा की गयी भविष्यवाणी मात्र तुक्का है तो उसे बधाई देने का क्या तुक है। हमारे वो मित्र नहीं जानतें कि बधाई हमेशा भाग्यशालियों को ही दी जाती है , अभागों को नहीं। समाज में सफल लोगों का गुणगान किया जाता है , मेहनतकशों का नहीं।
सारे प्रतिभाशाली विद्यार्थी नियमित तौर पर पढाई कर रहे हैं , सबके एक से बढकर एक परीक्षा परिणाम , युवा होते ही प्रतियोगिता की बारी आती है , कोई दो चार प्रश्नों के तुक्का सवालों का जबाब देकर आता है , उसके अधिक तुक्के सही हो जाते हैं , प्रतियोगिता में टॉप पर आने से उसे कोई नहीं रोक पाता। उसे बधाई देने वालों का तांता लग जाता है , पर उस मेहनती बच्चे को लोग कहां याद रख पाते हैं , ऐन परीक्षा के वक्त जिसकी तबियत खराब हो जाती है , जिसकी गाडी खराब हो जाती है या फिर बहुत सोंचसमझकर भी दो विकल्पों में से एक को चुनता है और वो भी गलत हो जाने से उसके प्राप्तांक का भी नुकसान हो जाता है और एक नंबर से वह प्रतियोगिता में चुने जाने से चूक जाता है।
सारे माता पिता अपने बच्चों के विवाह के लिए परेशान हैं , कुछ का संयोग काम करता है , उन्हें उपयुक्त पात्र मिल जाते हैं , वे वैवाहिक बंधन में बंध जाते हैं , उन्हें और उनके माता पिता को बधाई देनेवालों का तांता लग जाता है। पर कुछ बच्चों को , उनके माता पिता का दुर्योग उनसे बहुत दिनों तकं इतजार ही करवाता है , वे इतने वर्षों तक दौड धूप करते रह जाते हैं , कहीं उपयुक्त पात्र नजर नहीं आता , अब भला उन्हें किस बात की बधाई दी जाए।
जितने दंपत्ति विवाह बंधन में बंधते हैं , सबके घरों में बच्चों की किलकारियां गूंजने लगती है , उनके घर पर बधाइयों की झडी लगने लगती हैं , पर उन दंपत्तियों की मेहनत का कोई मूल्य नहीं , जो प्रतिदिन चेकअप के लिए डॉक्टर के पास जा रहे हैं , कडवी दवाइयां खा रहे हैं और शारिरीक रूप से कई कष्टों को झेलने के लिए बाध्य हैं या फिर उन दंपत्तियों के कष्टों का , जिनके बच्चे शारीरिक या मानसिक तौर पर बीमार हैं।
आपने कभी जमीन या मकान के बारे में सोचा भी नहीं और अचानक आपको ऐसे मकान के बारे में पता चल जाता है , जिसका मालिक किसी विपत्ति में पडने के कारण उसे जल्द से जल्द बेचने को बाध्य है। आपके पास पैसे नहीं होते , पर कुछ मित्र या रिश्तेदार आपका साथ देने को तैयार होते हैं। पैसों का प्रबंध हो जाता है और जमीन या मकान की रजिस्ट्री हो जाती है , आपको चारो ओर से बधाइयां मिलने लगती हैं , जबकि मकान या जमीन खरीदने को इच्छुक कितने ही व्यक्ति के पैसे बैंक में वर्षों तक पडे रह जाते हैं , उनको सही दर में भी मनमुताबिक जमीन नहीं मिल पाती , इसलिए वे बधाई के हकदार नहीं।
8 comments:
भाग्यशाली हो न हो पर बधाई तो किसी खास उपलब्धि पर ही दी जाती है. इसलिये कौन नहीं चाहेगा कि उसे बधाई मिले
काफी हद तक सही बात
ekdam sahi kaha apne ...par meri ek duvidha ye hai ki kya Mr poul jyotish ke anusar hi bhavishyavani kar rahe hai...?
सही कहा...
आपको बधाई भी और शुभकामनाएँ भी!
तुक्का होने पर भी बधाई का हक बनता है।
इसलिए बधाई दी जानी चाहिए।
आभार
बिल्कुल सही कहा।जो जीता वही सिकंदर वाली बात है।
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Sangeeta ji,
bahut sahi baat kahi aapne. Ugte suraj ko sabhi pranam karkte hain.
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