प्रकृति में जो घटनाएं निरंतर नियमित तौर पर देखी जाती है , उसमें तो हम सहज विश्वास कर लेते हैं। चूकि घटनाएं किसी न किसी नियम के हिसाब से होती हैं , इसलिए इन नियमों को ढूंढ पाने की दिशा में हमं सफलता भी मिलती जाती है और इसी के कारण आज विज्ञान इतना विकसित है। पर कभी कभी कुछ घटनाएं बहुत ही विरल होती हैं , पूरे एक जीवन में किसी को एकाधिक बार दिखाई भी देती हैं , तो उसपर किसी का गंभीरता से ध्यान ही नहीं जाता। यदि उसका ध्यान गया भी तो बाकी लोग जिन्होने ऐसा कुछ होते नहीं देखा है , वे सहज विश्वास भी नहीं कर पाते हैं। इसलिए ऐसी घटनाओं की चर्चा भी नहीं हो पाती और उसके रहस्य का पर्दाफाश भी नहीं हो पाता , वे रहस्य रहस्य ही बने रह जाते है।
मेरे मम्मी , पापा और तीनों भाई काफी दिनों से दिल्ली में ही रह रहे हैं , इसलिए आजकल दिल्ली ही मायके बन गया है। गांव में कभी कभी किसी शादी विवाह या अन्य सिलसिले में जाने की आवश्यकता पडती है। तीन वर्ष पूर्व जब एक विवाह के सिलसिले में गांव गयी तो चाचाजी की लडकी गांव में ही थी , ढाई महीने के पुत्र को लेकर वह बाहर आयी , तो उसे देखकर मैं चौंकी। मुझे लगा , मैने पहले भी अपने जीवन में बिल्कुल उसी रंग रूप का वैसा ही एक बच्चा देख चुकी हूं। बच्चे की मां यानि मेरी वो बहन बचपन में बिल्कुल वैसी थी , चाची ने इस बात की पुष्टि की। बहुत देर बाद मुझे याद आया कि अगस्त में जन्म लेने वाली उस बहन को ढाई महीने की उम्र में ऊनी कपडों में लेकर नवंबर में चाची मायके से पहली बार आयी थी , तब मैने खुद से 15 वर्ष छोटी उस बहन को पहली बार देखा था , वह लडके के जैसी दिख रही थी। इस संयोग पर वहां बैठे हम सब लोग थोडी देर हंसे , फिर इस बात को भूल गए।
14 comments:
जीवन में इस तरह के संयोग होते हैं ,
कुछ अजीब से संयोगों का अनुभव मैंने भी किया है ...!
मुझे नहीं पता की ये कैसे होता है, लेकिन इसी तरह दो-तीन घटनायें मुझे ऐसा लगा कि ये पहले भी मेरी आंखों के सामने घटी हैं। और पूर्वाभास जैसा भी कुछ होता है मैनें सुना है।
एक बार मेरी मम्मी जी अपने मायके गये थे। दसेक दिन के बाद मुझे लगा कि मम्मी आ गई हैं और उन्हें बस स्टैंड से घर तक आने के लिये रिक्शा नहीं मिला है। और काफी सामान के साथ धूप में चली आ रही हैं। उस समय मोबाईल फोन भी नहीं थे। मैं अपनी छोटी सी साईकिल लेकर बस स्टैंड की तरफ गया तो मेरी मम्मी जी सचमुच आ रही थी।
प्रणाम
aisa kuchh anubhav to nahi kiya, lekin sayad sambhav ho........:)
इस तरह के संयोग अक्सर हो जाते हैं
इस प्रकार के संयोग यदा,कदा सब के ही जीवन में होतें हैं ।
सही लिखा है शायद ये सब के साथ कही ना कही होता है !
हां, इस तरह के संयोग का मैंने भी अनुभव किया है।
yog aur sanyog sabco nahi milte hai.
होते हैं ऐसे संयोग, पूर्वाभास भी होता है
हाल ही में एक ब्लॉगर के साथ हुई भयंकर दुर्घटना को मैंने दो माह पहले ही 'देख' लिया था, अब चाहे कोई माने या ना माने
क्यों नहीं होता है...? बहुत बार होता है ऐसा!
संगीता जी,
कई संयोग बनते है, कुछ तो पूर्वाभास होते है, पर हमारी बुद्धि समझने में समर्थ नहिं होती।
कभी कभी वर्तमान दृश्य पर हमें आभास होता है जैसे हूबहू यह दृश्य पहले हम देख चूके है।
कई अनसुलझे पहलू है।
कभी कभी ऐसे संयोग होते हैं ...पर हम उनको मात्र घटना ही कह देते हैं
इत्तेफाक़ तो रोज़ ही होते हैं, हर तरफ। जो पहले से पता हो वह जानकारी है वरना इत्तेफाक़!
जीवन में कई बार अजीब संयोग से सामना होता है ...
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