आशीष खंडेलवाल जी ने अपनी एक पोस्ट में रचनाओं को चोरी से बचाने के लिए कुछ टिप्स दिए थे , जिससे टेक्सट कॉपी नहीं किया जा सकता था। इसका प्रयोग कुछ दिन मैने भी किया था , फिर किसी सज्जन के अनुरोध पर अपने लेखों के प्रयोग करने की सुविधा देने के लिए हटाना पडा । पर कुछ दिनों से मैने कई ब्लॉग्स पर जब भी कुछ शब्दों को सेलेक्ट करने की कोशिश की है , ऐसा दृश्य पाया है ......
मतलब कि वह स्वामी जी के तोते की तरह अपनी कहता भी है और आपको कॉपी करने भी दे देता है। आपको नहीं मालूम तो सुन लीजिए , स्वामी जी का तोता शिकारी के बिछाए गए जाल में फंसकर स्वामी जी द्वारा रटाए गए पाठों को कैसे दोहरा रहा था ....
शिकारी आएगा , जाल बिछाएगा . लोभ से उसमें फंसना मत !!
भूल सुधार कर लें आशीष खंडेलवाल जी !!
2 comments:
जाने क्या ग्लिच है. कई जगह मैने भी कोशिश की और कॉपी कर सका.
चोर चोरी से कहाँ बाज़ आता है ....इन टिप्स के चक्कर में चर्चाकारों को बहुत परेशानी होती है ....कुछ कॉपी पेस्ट नहीं कर पाते ..
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