मेरे द्वारा रोहतक के तिलयार झील की यात्रा पर एक विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार न सिर्फ ब्लॉगर बंधुओं को , वरन् ज्योतिषीय रूचि के कारण मेरे ब्लॉग को पढने वाले अन्य पाठकों और मित्रों को भी है। जब एक फोन पर इस रिपोर्ट का इंतजार कर रहे अपने पाठक को बताया कि व्यस्तता के कारण इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने में कुछ देर हो रही है , तो उन्होने कहा कि इतनी देर भी मत कीजिए कि आप बहुत कुछ भूल ही जाएं। मैने उन्हे कहा कि एक सुखद यात्रा वर्षों भूली नहीं जा सकती , वैसी ही यात्राओं में तिलयार यात्रा भी एक है , भला इतने सारे ब्लोगरों से मुलाकात का वह दिन इतनी जल्द भुलाया जा सकता है ??
पहली बार सुनने पर रोहतक में होने वाली इस ब्लॉगर मीट की तिथि 21 नवंबर मुझे जंची नहीं थी , क्यूंकि ज्योतिषीय दृष्टि से उससे पहले ग्रहों की स्थिति मनोनुकूल नहीं थी , आसमान में ग्रहों की क्रियाशीलता कुछ इस ढंग की थी कि लोगों को किसी न किसी कार्यक्रम में व्यस्त रखने का यह एक बहाना बन सकती थी। बहुत प्रकार के कार्यों के उपस्थित हो जाने से इस प्रकार की तिथियों के कार्यक्रमों में इच्छा के बावजूद आमंत्रित कम संख्या में ही पहुंच पाते हैं। हां , 21 नवंबर को पूर्णिमा होने के कारण कार्यक्रम की सफलता पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता था , इसलिए मुझे वहां पहुंचने की इच्छा तो थी ।
जब निर्मला कपिला जी से मैने रोहतक ब्लॉगर मीट के बारे में बात की , तो उन्होने कहा कि यदि मेरा कार्यक्रम निश्चित हो , तभी वो चलेंगी। इतने ब्लॉगरों के साथ साथ उनसे मिलने का बहाना बडी मुश्किल से मिल रहा था , मैं इंकार नहीं कर सकती थी। पर तिथि को देखते हुए मन में अंदेशा अवश्य बना हुआ था कि कोई आवश्यक पारिवारिक या अन्य कार्य न उपस्थित हो जाए , छोटे मोटे कार्यक्रमों को तो अपने पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम से टाला जा सकता है , यह सोंचकर मैने मित्रों और परिवारवालों के मध्य अपनी रोहतक यात्रा की खबर सबसे पहले प्रचारित प्रसारित कर दी। इससे एक फायदा हुआ कि बंगाल में एक दीदी के लडके का विवाह 22 नवंबर को था , दीदी के फोन आने पर मैने उन्हें तत्काल कह दिया कि मैं विवाह में न पहुंचकर 24 को 'बहू भात' में वहां पहुंचुंगी। मेरे कार्यक्रम की जानकारी मिलने पर दिल्ली से मेरे पास आ रहे पापाजी ने भी 20 नवंबर का रिजर्वेशन रद्द करवाकर मेरे साथ ही दिल्ली से आने का कार्यक्रम बनाया।
बोकारो से दिल्ली और दिल्ली से रोहतक जाने का मेरा कार्यक्रम निश्चित हो चुका था , पर 12 नवंबर को होनेवाले छठ के बाद बिहार झारखंड से लौटने वालों की भीड में मेरे लिए रिजर्वेशन मिलना कठिन था। मैने रेलवे की वेबसाइट पर एक एक कर सभी ट्रेनों की स्थिति देखी , कहीं भी व्यवस्था नहीं दिखाई पडी। 12 नवंबर को छठ होने के कारण बर्थ अवश्य उपलब्ध थे , पर छठ के मौके पर ट्रेन में बैठे रहना मुझे जंच नहीं रहा था। दूसरे दिनों में निकलने के लिए धनबाद से किसी प्रकार व्यवस्था जरूर हो सकती थी , पर उतनी दूर जाकर ट्रेन पकडना मुझे पसंद नहीं था। इसलिए मैने दिल्ली के लिए 12 नवंबर का ही रिजर्वेशन करवा लिया। रिजर्वेशन के वक्त लोअर बर्थ की उपलब्धता नहीं थी , इसलिए मैने मिडिल बर्थ में ही अपना रिजर्वेशन कराया। पर रेलवे की व्यवस्था की पोल इसी से खुल जाती है कि रातभर मेरे नीचे वाली बर्थ बिल्कुल खाली पडी रही।
कुछ दिन पूर्व से ही खराब चल रही मेरी तबियत ऐन दिल्ली प्रस्थान के वक्त ही खराब हो गयी। पर दवा वगैरह लेकर अपनी तबियत को सामान्य बनाया और दिल्ली के लिए निकल पडी। चलते समय तक यह मालूम हो चुका था कि 13 नवंबर को शाम के वक्त कनॉट प्लेस में भी एक ब्लॉगर मीट का आयोजन है। मेरी गाडी का समय 1 बजे दिन में ही दिल्ली में था , पर देर होने की वजह से शाम 4 बजे ही वहां पहुंच सकी। मेट्रो से आते वक्त राजीव चौक में उतरकर कनॉट प्लेस जाने और सबसे मिलने की इच्छा थी , पर पहले से ही गडबड तबियत 22 घंटे के सफर के बाद और खराब हो गयी थी। रही सही कसर दूसरे दिन रेलवे वालों ने एसी ऑफ करके पूरी कर दी थी, कई यात्रियों के शिकायत दर्ज कराने पर भी एसी ऑन नहीं हुआ। स्लीपर बॉगी में होती तो कम से कम खिडकी खुले होने से ताजी हवा तो मिलती , बंद बॉगी में एसी बंद होने से चक्कर आ रहा था। कुछ दिन पूर्व ऐसी स्थिति में कुछ यात्रियों में डेंगू या स्वाइन फ्लू फैलने के समाचार पढने को मिला था , इससे दिमाग तनावग्रस्त था , ऐसे में घर पहुंचकर ही राहत मिल सकती थी ।
दिल्ली में भी मुझे कई काम निबटाने थे , पर तबियत बिगडी होने की वजह से कुछ भी न हो पाया। ललेकि तीन भतीजे भतीजियों की मासूम शैतानियों के कारण सप्ताह भर का समय व्यतीत होते देर न लगी। पर जैसा संदेह था , इन दिनों ब्लॉग जगत से कुछ ऐसी घटनाएं सुनने को मिली , जिससे स्पष्ट हुआ कि कार्यक्रम में सम्मिलित हो रहे लोगों में से कुछ वहां नहीं पहुंच सकेंगे। इससे मन में काफी असंतोष बना रहा , पर दिल्ली तक आ चुकी थी , तो रोहतक तो पहुंचना ही था। रोहतक में तिलियार झील में ब्लॉगर मीट रखी गयी थी , निर्मला कपिला जी से संपर्क किया तो उन्होने बताया कि वे राजीव तनेजा जी के साथ आ रही हैं। मैने भी राजीव तनेजा जी को ही संपर्क किया , माता जी के स्वास्थ्य को लेकर तनेजा दंपत्ति अस्पताल के चक्कर काट रहे थे। पापाजी तैयार नहीं थे कि मैं अकेली अनजान रास्ते पर जाऊं , मैने अपने एक भाई का गुडगांव का कार्यक्रम रद्द करवाकर उसे अपने साथ चलने को तैयार किया , पर 20 की शाम को तनेजा जी ने कहा कि वे चलते वक्त मुझे ले लेंगे।
21 नवंबर को सुबह नांगलोई में मेट्रो स्टेशन के पास राजीव तनेजा जी , संजू तनेजा जी और निर्मला कपिला जी से मिलने का मौका मिला। तनेजा दंपत्ति से तो मैं पहले भी मिल चुकी थी , पर निर्मला कपिला जी से यह पहली मुलाकात थी। उनकी कहानियों लेखों , कविताओं और खासकर टिप्पणियों ने मेरे हृदय पर एक छाप छोड दी थी , इसलिए उनसे मिलने की मेरी दिली तमन्ना थी , कार से उतरकर उन्होने मुझे गले लगा लिया। इस सुखद अहसास को मैं जीवनभर नहीं भूल सकती। हमलोगों ने ब्लॉग जगत से जुडी बाते करते हुए ही एक डेढ घंटे का सफर तय किया और थोडी ही देर में मंजिल आ गयी। क्या हुआ तिलियार ब्लॉगर मीट में , यह जानिए अगली कडी में , इसके लिए आपलोगों को कितना इंतजार करना पड सकता है , नहीं बता सकती।
14 comments:
ब्लागिंग के प्रति आपका समर्पण नए ब्लागर्स के लिए प्रेरणा बनता है।
अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा।
आभार
बहुत ही सजीव चित्रण किया है,अब तो आपका स्वासथ्य ठीक है ना?
इतने दिनो बाद इस घटना पर पोस्ट लिखी और उसमे भी मझधार मे छोड़ दिया |
आपकी हिम्मत की दाद देता हूँ संगीता जी , बिपरीत परिस्थितियों में बोकारो से दिल्ली और दिल्ली से रोहतक पंहुचना कोई मज़ाक नहीं था ! इससे आपका ब्लाग जगत की और लगाव भी प्रदर्शित होता है ! कम से कम मेरे लिए आपको वहां देखना आश्चर्य चकित करने वाला था ! शुभकामनायें
सुंदर और भावपूरित। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विलायत क़ानून की पढाई के लिए
संजय भास्कर ने मुझे बताया था. लेकिन मैं बीमार था, इसलिए एक बहुत अच्छा अवसर हाथ से निकल गया. अगर मैं भी इस मीट में होता तो मेरे लिए भी ये एक यादगार लम्हा बन जाता.
खैर जो होना होता है वो हो के ही रहता है.
आपने बहुत अच्छा लिखा है. दुआ है की अब आपकी तबियत अच्छी हो.
अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा.
अस्वस्थ होने के बावजूद ब्लॉगर मीट में आना, हमारे लिये प्रेरणादायी है और आपके ब्लॉगप्रेम को दर्शाता है।
बहुत इंतजार कराया जी आपने
अगली कडी का इंतजार है।
प्रणाम
ऐन वक्त पर मुझे भी आरक्षण रद्द करवाना पड़ा वरना सभी साथियों के साथ होता मैं भी
अगली कड़ी की प्रतीक्षा
आपकी हिम्मत ..... संगीता जी
सही में, नहीं भुलाई जा सकती ऐसे मुलाकातें।
इंतज़ार है अगली कड़ी का..
बाकी लंबी यात्रा करना तो एक क्लेश ही है भारत में...
संगीता जी ... आप का कर्जदार हो गया मै तो , इतने सारे प्रोगराम छोड कर आप आई, बस आप पहले से एक हल्का सा इशारा भी कर देती तो मै आप से जरुर सलाह कर लेता इस ब्लाम्ग मिलन के बारे, मैने टिकट बुक होने से पहले ही बता दिया था कि ब्लाग मिलन लगभग इन तारीखो के बीच हो सकता हे, चलिये अब इस आने वाले साल यानि २०११ (भी तो दो चार घंटे शेष हे इस साल मे )ब्लाग मिलन पर आप से सलाह लेगे, आप का धन्यवाद ओर मै नत मस्तक हो गया आप का यह प्रेम देख कर, लेकिन सब मिला कर सब अच्छा ही रहा, जो लोग किसी मजवुई के कारण नही आ सके उन्हे नये साल मे जरुर मिलेगे, ओर इस बार ब्लाग मिलन इस से थोडा अलग होगा, मेरे बच्चे भी संग आयेगे तो ओर भी मजा आयेगा. धन्यवाद
आपको और आपके परिवार को मेरी और मेरे परिवार की और से एक सुन्दर, सुखमय और समृद्ध नए साल की हार्दिक शुभकामना ! भगवान् से प्रार्थना है कि नया साल आप सबके लिए अच्छे स्वास्थ्य, खुशी और शान्ति से परिपूर्ण हो !!
कुछेक ब्लॉगरों से मुलाक़ात के बाद मेरा अनुभव भी है कि ऐसी मुलाक़ात नहीं भुलाई जा सकती।
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