आपकी कहनी साहित्य शिल्पी पर पढी -
मेरा कमेन्ट वहां पोस्ट नहीं हो पा रहा है -
बहुत अच्छी कहानी !संगीता जी कहानी बहुत अच्छी लिख लेती हैं -यह तो उनके खुद के व्यक्तित्व के द्वंद्व की कहानी है !
पेज का दाहिना हाशिया लेखके भाग पर आ गया है -उनसे बोले!
मैं उतना ज्ञानी कहां , इसपर मेरा जबाब था ....
धन्यवाद .. सैकडों वर्षों से कितने लोगों के व्यक्तित्व में यह
द्वन्द्व रहा होगा .. दो पीढियों से मैं अपने ही घर में देख रही हूं ..
और आगे भी चलता रहेगा शायद .. मैने ये कहानी तब लिखी थी .. जब ज्योतिष
में मेरा पदार्पण नहीं हुआ था .. पिताजी द्वारा कई प्रकार की चर्चा किए
जाने से दिमाग में ये बात आ गयी थी .. और ये कहानी बन पडी थी। बस
प्रकाशित करने से पहले इसका अंतिम वाक्य लिखकर कहानी को सकारात्मक मोड
दिया गया है !
इस कहानी के साथ ही साहित्य शिल्पी में मेरी सात कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं .....
कलियुग का पागल बाबा
सिक्के का दूसरा पहलू
दूसरी हार
थम गया तूफान
मिथ्या भ्रम
पहला विरोध
एक झूठ
ब्लॉग में से विजेट्स को हटाने का जो काम शुरू किया था , वो अभी भी जारी है। इसलिए कुछ अन्य महत्वपूर्ण आलेखों के लिंक्स इसी पोस्ट में डालकर इस पोस्ट का लिंक साइडबार में लगाने की इच्छा है , इसी क्रम में 'मां पर प्रकाशित मेरे दोनो आलेखों को देखें ....
दुनिया का सबसे आसान शब्द है मां
प्रकृति इन मांओं के साथ अन्याय क्यूं कर रही हैं
'फलित ज्योतिष : सच या झूठ' में प्रकाशित मेरे आलेख....
क्या है गत्यात्मक ज्योतिष
5 comments:
जी जरुर पढेंगे.
बहुत अच्छा लगा जानकार । बधाई।
मैं सब पढ़ लूँ तब बताऊंगा,लेकिन अग्रिम बधाई तो जरूर स्वीकार करें.
g ab pata lag gaya hai to padte hain..agrim badhai...
आपके कहानीकार होने की जानकारी सुखद लगी। समय निकाल कर पढने का प्रयास करूँगा।
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