Monday 12 April 2021

झूठ नहीं बोलना सच कहना

झूठ नहीं बोलना सच कहना 

Jhoot nahi bolna sach kahna



झूठ के पांव होते ही नहीं हैं ,

कभी कहीं भी पहुंच सकता है।
पर बिना पांव के ही भला वह ,
फासला क्‍या तय कर सकता है ?


भटकते भटकते , भागते भागते ,
उसे अब तक क्‍या है मिला ?
मंजिल मिलनी तो दूर रही ,
दोनो पांव भी खोना ही पडा !!

सच अपने पैरों पर चलकर ,
बिना आहट के आती है।
निष्‍पक्षता की झोली लेकर ,
दरवाजा खटखटाती है।

न्‍याय, उदारता की इस मूरत को ,
इस कर्तब्‍य का क्‍या न मिला ?
हर युग में पूजी जाती है ,
हर वर्ग में इसे सम्‍मान मिला !!

सत्‍य पर कदम रखने वालों को,
कठिन पथ पे चलना ही पडेगा।
विघ्‍न बाधाओं पर चल चल कर,
मार्ग प्रशस्‍त करना ही पडेगा।

राम , कृष्‍ण , बुद्ध और गांधी को,
बता जीवन में क्‍या न मिला ?
आत्मिक सुख, शांति नहीं बस,
जीवन को अमरत्‍व भी मिला !!

2 comments:

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

संगीता जी ,नमस्कार . यों तो आपको नाम से जानती थी लेकिन आज पुरानी पोस्ट देखते हुए पता चला कि आप मेरे ब्लाग पर आईं हैं . उसी लिंक पर मैं आपको अपनी बात लिख रही हूँ . मैं तब इसका महत्त्व नहीं समझथी कि ब्लाग पर कौन आया ,क्या लिखा ,उसका उत्तर मुझे देना चाहिये या कम से कम उनके ब्लाग पर भी देखना पढ़ना चाहिये ..लेकिन एक ग्रुप में आपके स्वास्थ्य को लेकर संगीता अस्ठाना ,शिखा वार्ष्णेय आदि सखियाँ बहुत चिन्तित थीं ,फिर स्वास्थ्य लाभ की सूचना से सबको राहत मिली ..ही मुझे भी ...आशा है अब जल्दी जल्दी पूर्ण स्वस्थ हो जाएंगी .
आपकी कविता पढ़ी . सचमुच झूठ के पाँव कहाँ ...लेकिन बिना पाँव के ही वह कभी कभी बड़ा कहर वरपा देता है .कुछ समय के लिये ही सही .इसलिये ईश्वर झूठ व झूठे लोगों से दूर ही रखे .

Manisha Goswami said...

👌👌वाह! बहुत ही बेहतरीन 👌👌👌
हमारे ब्लॉग पर भी आइएगा आपका स्वागत है🙏🙏